चौरी-चौरा पर पीएम मोदी ने किया डाक टिकट जारी

 04 Feb 2021  2566

संवाददाता/in24 न्यूज़.
जब भी देश के लिए बलिदान देने वालों की चर्चा की जाती है तब चौरी-चौरा का ज़िक्र किया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में चौरी-चौरा शताब्दी समारोह में चौरी-चौरा पर एक डाक टिकट जारी किया. पीएम मोदी ने कहा कि चौरी-चौरा की पवित्र भूमि पर देश के लिए बलिदान होने वाले, देश के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा देने वाले वीर शहीदों के चरणों में मैं प्रणाम करता हूं, आदरपूर्वक श्रद्धाजंलि देता हूं. पीएम मोदी ने कहा कि 100वर्ष पहले चौरी-चौरा में जो हुआ वो सिर्फ एक आगजनी की घटना,एक थाने में आग लगाने की घटना नहीं थी, चौरी-चौरा का संदेश बहुत बड़ा था. अनेक वजहों से पहले जब भी चौरी-चौरा की बात हुई उसे एक मात्र मामूली आगजनी के संदर्भ में ही देखा गया,लेकिन आगजनी की क्या वजह थी, ये भी महत्वपूर्ण है. पीएम ने आगे कहा कि आग थाने में नहीं लगी थी, आग जन-जन के दिलों में प्रज्ज्वलित हो चुकी थी. चौरी-चौरा के ऐतिहासिक संग्राम को आज देश के इतिहास में जो स्थान दिया जा रहा है, उससे जो जुड़ा हुआ प्रयास हो रहा है वो प्रशंसनीय है.आज से शुरू हो रहे कार्यक्रम पूरे साल आयोजित किए जाएंगे. इस दौरान चौरी-चौरा के साथ ही हर गांव, हर क्षेत्र के वीर बलिदानियों को भी याद किया जाएगा. जब देश आज़ादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, उस समय ऐसे समारोह का होना इसे और भी प्रासंगिक बना देता है. पीएम मोदी ने बजट का जिक्र करते हुए कहा कि इस बजट में देशवासियों पर कोई बोझ नहीं बढ़ाया गया, बल्कि देश को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने ज़्यादा से ज़्यादा खर्च करने का फैसला लिया है. ये खर्च देश में चौड़ी सड़के बनाने के लिए होगा, नई बसें और रेल चलेगी, युवाओं को ज़्यादा अच्छे अवसर मिले उसके लिए बजट में अनेक फैसले लिए हैं. हमारे देश की प्रगति का सबसे बड़ा आधार हमारे किसान भी रहे हैं. चौरी-चौरा संग्राम में हमारे किसानों की सबसे बड़ी भूमिका थी, किसान आगे बढ़ें, आत्मनिर्भर बने इसके लिए पिछले 6 सालों में किसानों के लिए लगातार प्रयास किए गए हैं. इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 4 फरवरी 1922 को स्वाधीनता संघर्ष में यहां पुलिस और स्थानीय जनता के बीच संघर्ष में पुलिस की गोली से स्वाधीनता के लिए संघर्ष करने वाले 3 सेनानी शहीद हुए थे. उसके बाद 228 पर ब्रिटिश हुकुमत ने मुकदमा चलाया था जिनमें 225 को सजा दी गई थी. बता दें कि देश आज शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त कर रहा है.