फेसबुक पर भारत में नफरत और झूठ फैलाने का गंभीर आरोप

 25 Oct 2021  636

संवाददाता/in24 न्यूज़।
सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म फेसबुक पर बेहद गंभीर आरोप लगा है कि वह भारत में फरेब, भ्रामक खबरें और हिंसा फैलाने का माध्यम बन गया है। कंपनी की एक अंदरूनी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। भारत उसके लिए विश्व का सबसे बड़ा बाजार है, लेकिन खामियां सुधारने के लिए उठाए उसके कदम, लोगों की जान की कीमत पर महज प्रयोग से ज्यादा कुछ नहीं हैं। इन भ्रामक पोस्ट का दुष्प्रभाव पूरे भारत और चुनाव प्रक्रिया पर भी हो रहा है। ये खामियां कैसे दूर होंगी? यह सब उसे खुद भी पता नहीं है। यहां तक कि खुद बिगाड़े इन हालात को सुधारने के लिए उसने उचित संख्या में स्टाफ या संसाधन भी नहीं रखे और इसके लिए पैसा खर्च करना वह बेकार मानता है। विरोधात्मक और नुकसानदेह नेटवर्क भारत एक केस स्टडी’ नामक इस दस्तावेज को कंपनी के ही अध्ययनकर्ताओं ने तैयार किया है। इसके अनुसार फेसबुक पर ऐसे कई ग्रुप और पेज चल रहे हैं, जो मुसलमानों व भारतीय समाज के कमजोर तबकों के खिलाफ काम कर रहे हैं। फेसबुक के अवैध कार्यों की जानकारी दे रही यह रिपोर्ट उसकी पूर्व कर्मचारी फ्रांसेस ह्यूगन ने फेसबुक के कई अहम दस्तावेज के साथ तैयार की है। 2019 के आम चुनाव के बाद भी भारत पर ऐसी ही रिपोर्ट में फेसबुक द्वारा झूठी खबरें फैलाने और व्यवस्था बिगाड़ने की पुष्टि हुई। उसके अनुसार पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा देखे गए कंटेंट के 40 फीसदी व्यू फर्जी थे। वहीं 3 करोड़ भारतीयों तक पहुंच रखने वाला अकाउंट अनधिकृत मिला। नई रिपोर्ट में एक कर्मचारी ने बताया कि उसने फरवरी 2019 में खुद को केरल का निवासी बताते हुए फेसबुक अकाउंट बनाया और इसे अगले तीन हफ्ते तक चलाया। फेसबुक के अल्गोरिदम ने जो कंटेंट पेश किया, नए-नए पेजों व समूहों से जुड़ने की जो सिफारिशें की, उन्हें वह पढ़ता, देखता और मानता गया। परिणाम में नफरत भरी और हिंसा उत्सव मनाने वाली सामग्री और झूठी सूचनाओं के सैलाब से उसका सामना हुआ। फेसबुक की अंदरूनी रिपोर्ट के अनुसार उसके पास अपने सबसे बड़े बाजार भारत के लिए इतने संसाधन नहीं हैं और न ही वह इस पर खर्च करना चाहता है, ताकि खुद उसी द्वारा पैदा की झूठ, भ्रामक खबरें और हिंसा फैलाने की समस्या दूर कर सके। फेसबुक के प्रवक्ता एंडी स्टोन एक ओर दावा करते हैं कि कंपनी ने नफरती सामग्री को इस साल 50 प्रतिशत कम किया है, दूसरी ओर मानते हैं कि भारत में वंचित समुदायों और मुसलमानों के खिलाफ उसके प्लेटफॉर्म से नफरत बढ़ाई जा रही है। दस साल से फेसबुक में पब्लिक पॉलिसी निदेशक केटी हर्बाथ मानती हैं कि फेसबुक के पास संसाधन कम हैं, लेकिन यह भी कहती हैं कि समस्याओं का समाधान उन पर पैसा फेंकने से नहीं निकल सकता। कैसे निकलेगा उसे इसका अंदाजा भी नहीं है। बता दें कि आज फेसबुक से दुनिया भर के अनेक देशों के लोग जुड़े हुए हैं।