शिवसेना शिंदे गुट, बीजेपी और अजित गुट के विधायकों की हटाई गई Y दर्जे की सुरक्षा
18 Feb 2025
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
संवाददाता/in24 न्यूज़।
महाराष्ट्र की महायुति सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है बीते दिनों मुख्यमंत्री चिकित्सा राहत कोष को लेकर दोनों नेताओं के बीच खींचतान देखने को मिली थी.वहीं अब शिवसेना शिंदे गुट के कुछ विधायकों की वीआईपी सुरक्षा हटाने से इनके बीच की दूरी और बढ़ती नजर आ रही हैं.दरअसल गृह विभाग ने महाराष्ट्र में वीआईपी सुरक्षा की समीक्षा के बाद शिवसेना शिंदे गुट, बीजेपी और अजित गुट के विधायकों की Y दर्जे की सुरक्षा हटा दी है.अब इन विधायकों को केवल एक ही सुरक्षा गार्ड मिलेगा।समीक्षा में उन नेताओं की सुरक्षा कम करने का निर्णय लिया गया है, जिनकी जान को कोई खतरा नहीं है.
हालांकि गृह विभाग के इस फैसले से शिंदे गुट के कई विधायकों के नाराज होने की खबर है. ऐसा कहा जा रहा है कि कैबिनेट की बैठक में भी यह मुद्दा शिंदे गुट की तरफ़ से उठाया जा सकता है. बता दें कि कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री राहत कोष यानी सीएमआरएफ सेल के होने के बावजूद ‘मंत्रालय' में एक चिकित्सा सहायता सेल की स्थापना की। हालांकि साथ में ये भी कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ ‘किसी बात को लेकर तकरार' नहीं है.फडणवीस-शिंदे में चल रहे कोल्ड वार को समझने के लिए कुछ बातों को समझना जरूरी है.जैसे कि महाराष्ट्र का गृह विभाग सीएम फडणवीस के पास है.गृह विभाग ने 20 से अधिक शिवसेना विधायकों, को मंत्री नहीं हैं, उनकी सुरक्षा वाई+ श्रेणी से घटा कर सिर्फ एक कांस्टेबल कर दी है.कुछ बीजेपी और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के नेताओं को दी गई सुरक्षा भी वापस ली गई है.लेकिन शिवसेना नेताओं की संख्या जिनकी सुरक्षा या तो कम कर दी गई है या वापस ले ली गई है,
बता दें कि शिवसेना में फूट पड़ने के बाद एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे.उन्होंने अपने गुट के विधायकों और प्रमुख नेताओें को Y दर्जे की सुरक्षा मुहैया कराई थी. इस सुरक्षा में विधायकों के वाहनों के आगे और पीछे पुलिस की गाड़ी चलती थी. वहीं घर के बाहर भी पुलिसकर्मी तैनात रहते थे.लेकिन अब राजनीतिक गलियारों में कहा जा रहा है कि सीएम फडणवीस और डीसीएम शिंदे के बीच जारी शीत युद्ध की वजह से शिंदे गुट के विधायकों पर मार पड़ी है. हालांकि कुछ लोग इस कदम को राज्य के संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सीएम फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार की पहल के हिस्से के रूप में देख रहे हैं.दरअसल इन विधायकों को Y सिक्योरिटी कवर अतिरिक्त भत्ते के तौर पर दिया गया था, जबकि वे मंत्री नहीं हैं.
लेकिन राज्य सरकार के इस फैसले से शिंदे सेना और बीजेपी के बीच चल रहे तनाव में और इजाफा होने की आशंका है. इस कदम को सीएम देवेंद्र फडणवीस द्वारा अपनी सत्ता कायम रखने के लिए एक राजनीतिक चाल के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन इससे शिवसेना शिंदे गुट नाराज हो सकती है.इन दिनों मंत्रालय, विधान भवन यानी राज्य सचिवालय की सातवीं मंजिल, सत्ता संघर्ष का प्रतीक बन गया है, जिसमें फडणवीस का वॉर रूम प्रमुख परियोजनाओं और महत्वपूर्ण बैठकों की निगरानी कर रहा है.वहीं एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र में प्रमुख परियोजनाओं की समीक्षा के लिए एक समन्वय समिति कक्ष स्थापित किया है.बात चाहे जो भी हो लेकिन जिस तरीके से एक के बाद एक घटनाक्रम सामने आ रहे हैं उसे ऐसा लगने लगा है कि बीजेपी और शिवसेना के बीच दूरी बढ़ने लगी है......
वैसे भी महाराष्ट्र की राजनीति इन दोनों देश में सबसे जटिल है.महाराष्ट्र के नेताओं के मन में क्या चल रहा है इसको समझना टेढ़ी खीर से कम नहीं है.अभी ढाई महीने पहले की ही बात है जब महायुति गठबंधन ने महा विकास आघाड़ी को हराकर प्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी.सरकार गठन के दौरान भी सत्ता में शामिल होने के लिए शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे को बड़ी मुश्किल से मनाया गया था.लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके एकनाथ शिंदे को शायद डिप्टी सीएम बनना रास नहीं आ रहा है.वो अनमने ढंग से शपथ ग्रहण में शामिल हुए थे और यहां तक की सरकार गठन के बाद से ही एकनाथ शिंदे सामन्य नजर नही आ रहे हैं. एकनाथ शिंदे पिछली कई कैबिनेट बैठकों में नदारद रहे हैं, लगातार हो रहे घटनाक्रम अभी यह संकेत देने लगे हैं कि जैसे भाजपा अब एकनाथ शिंदे और शिवसेना से छुटकारा पाना चाहती है. इन तमाम बातों के अलावा कई ऐसे मुद्दे हैं जिनको लेकर शिवसेना और बीजेपी में दूरियां बढ़ती नजर रही है. महाराष्ट्र की सियासत में अटकलें का जो बाजार गर्म है उसकी जो वजह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की शिवसेना यूबीटी और राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र का निर्माण सेना के नेताओं संग बैठक भी है.इसके अलावा शिंदे द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को बंद कर उन्हें घेरने भी प्रयास किया जा रहा है.वहीं अटकलें लगाने की एक वजह है ये भी है कि बीते दिनों शरद पवार जो की एनसीपीएसपी प्रमुख है उन्होंने शिंदे कार्यकाल की तारीफ की थी.इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान शरद पवार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सम्मानित भी किया था.बहरहाल अब देखना ही होगा कि पिछले 3 सालों से महाराष्ट्र की सियासत में हो रहे आश्चर्यजनक घटना क्रम में अब कौन सा नया अध्याय जुड़ता है.क्योंकि मौजूदा समय में सवाल कई है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या बीजेपी और शिवसेना में दूरियां आ गई है.क्या बीजेपी अब एकनाथ शिंदे से छुटकारा पाना चाहती है.