औरंगजेब की कब्र पर बुलडोजर चलना तय?

 11 Mar 2025  121

मुग़ल शासक औरंगजेब जिसकी नीतियों को हमेशा से ही हिंदू विरोधी बताया जाता रहा है। इतिहासकारों का दावा है कि वो एक अत्याचारी और क्रूर बादशाह था। जो अपनी सुविधा अनुसार दूसरों का दमन करता था। करीब 500 साल पहले इस बादशाह ने आधी शताब्दी यानी 50 साल तक भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया। इतिहास के पन्नों के मुताबिक 3 मार्च 1707 को उसकी मृत्यु हुई थी। इसके बाद महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले के खुल्दाबाद शहर में उसे दफ़नाया गया और उसपर लिख दिया गया सुल्तान ए हिंद औरंगजेब आलमगीर का मकबरा। 

महाराष्ट्र के संभाजीनगर में बनी औरंगजेब की कब्र, मजार या मकबरा जो भी कहें उसे हटाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। सबसे दिलचस्प बात ये है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समेत बीजेपी, कांग्रेस, शिवसेना और एमएनएस सभी ने एक सुर में इसका समर्थन किया है। वहीं छत्रपति शिवाजी महाराज के वशंजो ने भी कब्र को हटाने की मांग की है। दरअसल जब से समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ की है। तब से ही महाराष्ट्र की सियासत में औरंगजेब को लेकर घमासान मचा हुआ है। वही औरंगजेब का प्रेम आलाप करने वाले समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आजमी भी मुश्किलों में घिरे हुए हैं। उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। वैसे आपको बता दें कि औरंगजेब को लेकर महाराष्ट्र की सियासत में बवाल कोई नई बात नहीं है। कई सालों से औरंगजेब महाराष्ट्र की राजीनीति का केंद्र रहा है। कभी उसके इतिहास को लेकर तो कभी उसकी कब्र को लेकर तो कभी औरंगजेब का समर्थन करने को लेकर विवाद होता ही रहा है। 

वहीं एक बार फिर जैसे ही सपा विधायक अबू आजमी ने औरंगजेब को लेकर बयान दिया तो बवाल खड़ा हो गया और अब उसकी कब्र को हटाने की मांग तेज हो गई है। वहीं सीएम फडणवीस की टिप्पणी इसे और बल दे दिया है। दरअसल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि औरंगजेब की कब्र को हटाने की इच्छा हमारी भी है, लेकिन यह संरक्षित स्थल है। कांग्रेस सरकार के समय इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से संरक्षण मिला था। 

औरंगजेब को लेकर जारी घमासान के बीच एक आरटीआई  ने जो खुलासा किया है, उसने आग में घी डालने का काम किया है। दरअसल आरटीआई के जरिए ये जानकारी सामने आई है कि  औरंगजेब जैसे क्रूर शासक के लिए सरकार साल भर में करीब 2 लाख रुपये खर्च करती है और छत्रपति शिवाजी के मंदिर के लिए सिर्फ 250 रुपये महीना ही दिया जाता है। वहीं इस  खुलासे के बाद से हिंदू जनजागृति संगठन तमाम तरह के सवाल उठा रहा है। संगठन का कहना है कि आखिर औरंगजेब के लिए लाखों रुपये और छत्रपति शिवाजी के लिए इतने कम रुपये देकर ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है। 
इसके अलावा हिंदू जनजागरण समिति ने इस सहायता को तुरंत बंद किए जाने की मांग की है और कहा है कि छत्रपति शिवाजी के मंदिर को भरपूर सहयोग किया जाना चाहिए। हिंदू जनजागृति संगठन ने मजार और मंदिर में भेदभाव का आरोप लगाया है। हालांकि इस मामले को लेकर बीजेपी विधायक राम कदम ने कहा है कि जल्द ही इस पर कार्रवाई होगी और ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। 

महाराष्ट्र में औरंगजेब की क़ब्र हटाने के लिए एक सुर में आवाज उठा रही है। हालांकि इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान भी देखने को मिल रहा है। आपको बता दें कि औरंगजेब को लेकर विवाद की शुरुआत फ़िल्म छावा के रिलीज होने के बाद हुई थी। विक्की कौशल की नई फिल्म 'छावा' सिनेमाघरों में धूम मचा रही है और इसकी वजह भी साफ़ है। दरअसल ये फिल्म छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन, वीरता, साहस और पराक्रम की कहानी बयां करती है। इसने दर्शकों के दिलों में जगह बना ली है...ये अब सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि सबके लिए एक भावनात्मक अनुभव बन गई है। बहरहाल अब देखना ये होगा कि आने वाले समय में औरंगजेब की कब्र को हटाने को लेकर सरकार क्या फैसला लेती है और कब तक बुलडोजर चलता है।