नीतीश के 17 विधायक पकड़ सकते हैं लालटेन

 30 Dec 2020  896

संवाददाता/in24 न्यूज़.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब से कहा है कि एनडीए जिसे चाहे उसे मुख्यमंत्री बना दे, तब से बिहार में सियासी भूचाल सा शुरू है. बीजेपी और जेडीयू सरकार में होते हुए भी आपसी खींचतान के शिकार हैं. इसी बीच बड़ी खबर है कि जेडीयू के अनेक नेता पार्टी छोड़ने के मूड में हैं. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता श्याम रजक ने दावा किया है कि जेडीयू के 17 विधायक लालटेन थामने को तैयार हैं। श्याम रजक ने कहा है कि ये विधायक भाजपा के कामकाज से नाराज हैं और आरजेडी के संपर्क में हैं। श्याम रजक का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब जेडीयू के अंदर भाजपा के खिलाफ नाराजगी चल रही है। हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में 6 जेडीयू विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। तभी से भाजपा और जेडीयू में खींचतान चल रही है। श्याम रजक ने दावा किया है कि यह सभी विधायक भाजपा की कार्यशैली से काफी नाराज हैं। इसी नाराजगी के चलते वह आरजेडी में शामिल होना चाहते हैं, लेकिन उन्हें अभी रोका गया है। श्याम रजक ने बताया कि दल-बदल कानून के अंतर्गत इनकी सदस्यता रद्द हो सकती है, इसलिए विधायकों को अभी इंतजार करने के लिए कहा गया है। अरुणाचल प्रदेश में छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने का दर्द जनता दल (युनाइटेड) के नेताओं को कम नहीं हो रहा है। बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सरकार चला रही जदयू के नेताओं को अभी भी उस दर्द की टीस तकलीफ दे रही है। जदयू के बिहार प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने मंगलवार को कहा कि अरुणाचल प्रदेश की घटना से हमलोगों को तकलीफ तो जरूर हुई है। इस घटना से हमलोगों को तकलीफ तो जरूर हुई है, इसे करने की जरूरत नहीं थी। इसका सबसे बड़ा कारण है कि हमलोग साथ काम करने, सहयोग करने को तैयार थे। जब काम करने को तैयार थे तब मिलाने का तर्क समझ में नहीं आ रहा। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी घटनाओं का दिल और दिमाग पर तो असर पड़ता ही है। कुछ दिन पहले ही अरुणाचल प्रदेश के जदयू के सात विधायकों में से छह विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में चले गए हैं। इसके बाद बिहार में राजनीतिक सरगर्मी तेज है। राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजद के साथ आने का खुला ऑफर तक दे दिया है। चौधरी ने कहा कि अगर नीतीश कुमार तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बना दें, तो उनको 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए विपक्षी पार्टियां समर्थन कर सकती हैं। बता दें कि आगे का फैसला अब नीतीश कुमार के हाथों में है, मगर उनकी राय क्या होगी यह अभी साफ़ नहीं है.