76वीं गणतंत्र दिवस परेड को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला। इस बार कर्तव्य पथ पर देश की विविधता और सांस्कृतिक समावेशिता को दर्शाने वाली विभिन्न राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों की कुल 26 झांकियां तैयार की गई। इस परेड में 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ 10 मंत्रालयों और विभागों की अनूठी थीम वाली झांकियां शामिल हुई। बिहार, झारखंड, चंडीगढ़, कर्नाटक, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियों को गणतंत्र दिवस 2025 के लिए चुना गया था।
वहीं इस बार झांकियों का थीम- ‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’ रखी गई। इस वर्ष पहली बार सेना के तीनों अंगों, थल सेना, नौसेना और वायु सेना की एक संयुक्त झांकी प्रस्तुत की गई थी। तीनों सेनाओं की यह संयुक्त झांकी जल-थल-आकाश में सशस्त्र बलों के बेहतर समन्वय, संयुक्तता और एकीकरण का प्रतीक है।
हालांकि गणतंत्र दिवस परेड की झांकी का चयन करने वाली विशेषज्ञ समिति ने दिल्ली की ओर से दिए गए झांकी की थीम को अस्वीकार्य करते हुए खारिज कर दिया गया था।
इस बार की परेड में जहां दिल्ली की झांकी को मंजूरी नहीं मिली है तो वहीं चार राज्यों ने खुद ही असमर्थता जता इस दफा अपनी बारी छोड़ दी है और इन सब की जगह उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों को अपनी झांकी को कर्तव्य पथ पर दिखाने का मौका दिया गया। इसके अलावा परेड में, मौसम विभाग भी पहली बार अपनी झांकी निकाल गया। मौसम विभाग के लिए यह गर्व की बात है कि झांकी में विभाग का पिछले 150 वर्षों का समृद्ध इतिहास और विरासत दिखाई दिया।
हालांकि दिल्ली स्थित कर्तव्य पथ पर आयोजित होने वाली परेड में इस बार भी उत्तर प्रदेश की झांकी पर सबकी नजर रही। इस बार परेड में यूपी की झांकी में महाकुंभ दिखाया गया। जानकारी के अनुसार इस बार महाकुंभ की थीम पर झांकी प्रदर्शित की गई। झांकी महाकुंभ की आध्यात्मिक भव्यता को दिखाएगी---जहां संगम, ऋषियों, शाही स्नान, अमृत कलश और समुद्र मंथन का प्रदर्शन हुआ।
वहीं गुजरात की झांकी औद्योगिक प्रगति और सटेचू और यूनिटी को प्रदर्शित किया। 300 आर्टिस्ट्स के साथ इस परेड की शुरुआत हुई। इतना ही नहीं, करीब 5 हजार कलाकार कर्तव्य पथ पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। वहीं एक बार फिर राजधानी दिल्ली की झांकी का दीदार नहीं हो सका। जिसे लेकर पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के साथ साथ हर छोटा बड़ा नेता इसे दिल्ली का अपमान बता रहा था। बताया जा रहा था कि 2020 के बाद से दिल्ली की झांकी गणतंत्र दिवस परेड में नहीं शामिल की गई है। आप की ओर से कहा जा रहा है कि दिल्ली देश की राजधानी है इसलिए पूरे देश का प्रतिनिधित्व उसकी झांकी में होता है।
वहीं दो साल के बाद एक बार फिर राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में पंजाब की झांकी नजर आई। झांकी सूफी संत बाबा शेख फरीद और पंजाबी संस्कृति को समर्पित थी। बाबा शेख फरीद को पंजाबी का पहला कवि माना जाता है। इसमें प्राचीन पंजाब का हर रंग देखने को मिलेगा। संपर्क विभाग की ओर से तैयार की गई झांकी में पंजाब के पारंपरिक लोक वाद्य यंत्रों ढोल, तूबी के अलावा बैलों की जोड़ी भी नजर आई।
गणतंत्र दिवस परेड भारत की संस्कृति, इतिहास और सैन्य ताकत का प्रदर्शन है, जिसमें विभिन्न राज्यों और मंत्रालयों की झांकियां शामिल हुई। इन झांकियों का चयन रक्षा मंत्रालय करता है, और यह प्रक्रिया सितंबर या अक्टूबर में शुरू होती है। चयन के लिए एक विशेष कमेटी बनाई जाती है जिसमें कला, संगीत, स्थापत्य और मूर्तिकला के विशेषज्ञ शामिल होते हैं। हर साल 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर जो झांकियां दिखाई जाती हैं, वे राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विभिन्न मंत्रालयों के प्रयास का नतीजा होती हैं।
गणतंत्र दिवस की परेड में झांकियों का चयन रक्षा मंत्रालय की देखरेख में किया जाता है। यह प्रक्रिया हर साल सितंबर या अक्टूबर में शुरू होती है। मंत्रालय सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विभिन्न मंत्रालयों व सरकारी उपक्रमों को झांकी के लिए आवेदन भेजने का निमंत्रण देता है। प्रस्तावित झांकियों को पहले चरण में स्केच या डिज़ाइन के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह डिज़ाइन झांकी की थीम, संदेश और रचनात्मकता को स्पष्ट करता है।
रक्षा मंत्रालय एक विशेष चयन समिति का गठन करता है जिसमें संगीत, स्थापत्य कला (आर्किटेक्चर), पेंटिंग, मूर्तिकला (स्कल्पचर), नृत्य (कोरियोग्राफी) जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होते हैं। यह समिति झांकी के डिज़ाइन, थीम और प्रस्तुति की गहराई से जांच करती है। झांकियों के चयन के लिए कई तरह के मानकों पर ध्यान दिया जाता है। जैसे झांकी की थीम कितनी अनूठी और प्रासंगिक है। उसका डिज़ाइन और रचनात्मकता कितनी प्रभावी है। वह जनता को कितना प्रेरित और प्रभावित कर सकती है। झांकी में प्रयुक्त संगीत और रंग संयोजन कितना आकर्षक है। पहले चरण में झांकी के डिज़ाइन को स्वीकृति मिलने के बाद, आवेदकों से 3डी मॉडल प्रस्तुत करने को कहा जाता है। यह मॉडल झांकी की वास्तविक संरचना और विवरण को प्रदर्शित करता है। यदि 3डी मॉडल को स्वीकृति मिल जाती है, तो राज्य या मंत्रालय को झांकी निर्माण की अनुमति दी जाती है।
गौरतलब है कि हर साल गणतंत्र दिवस की परेड में अलग-अलग राज्यों की झांकियों को देखने के लिए लोगों में एक अलग ही उत्साह होता है। राज्यों की इन झांकियों में वहां की कला संस्कृति और विरासत को दिखाया जाता है। परेड की तैयारी देखकर ही लग रहा है कि 26 जनवरी को कई लोग इसके मुरीद हो गए। इस बार गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय सेना अपनी सैन्य शक्ति, स्वदेशी और आधुनिक सैन्य ताकत का प्रदर्शन करेगी। इसमें नाग मिसाइल सिस्टम, टी-90 भीष्म टैंक, ब्रह्मोस मोबाइल लॉन्चर, चेतक ऑल-टेरेन व्हीकल, बजरंग लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल, सारथ टैंक, और अग्नि मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर का प्रदर्शन हुआ।
वहीं इस साल के गणतंत्र दिवस के मौके पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को भारत ने अपना मुख्य अतिथि बनाया। वहीं परेड में शामिल होने वाले अतिथियों की बात करें तो करीब 77,000 लोगों के कार्यक्रम में शामिल हुए। जिसमें 10,000 विशेष आमंत्रित लोग शामिल हुए। प्रतिभागियों और उपस्थित लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, दिल्ली भर में, खासकर कर्तव्य पथ के आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।