नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर 140 से ज्यादा याचिका का जवाब चार सप्ताह में

 22 Jan 2020  804
संवाददाता/in24 न्यूज़.  
नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई 140 से ज्यादा याचिकाओं सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिकाओं का जवाब देने के लिए केंद्र को चार सप्ताह का समय दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस भी जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह मामले के प्रक्रियात्मक मुद्दे पर सुनवाई करेगा.  शीर्ष अदालत ने कहा कि वह केंद्र को सुने बिना इस पर रोक नहीं लगा सकती है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे और जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और संजीव खन्ना की पीठ ने नागरिकता अधिनियम में संशोधन पर 140 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. अधिकांश याचिकाओं में नागरिकत कानून को चुनौती दी गई है. सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र की तरफ से बहस करते हुए कहा कि सरकार को 143 याचिकाओं में से केवल 60 के करीब प्रतियां दी गई हैं. उन्होने कहा कि उन्हें उन याचिकाओं पर जवाब देने के लिए समय चाहिए. याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील सिब्बल ने अदालत से कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या (एनपीआर) अभ्यास अप्रैल के लिए निर्धारित है और इसे अदालत के अंतरिम आदेश के माध्यम से स्थगित किया जाना चाहिए. उनके साथी वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, जो याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ने भी यह कहते हुए स्टे की मांग की. 18 दिसंबर, 2019 को शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए याचिकाएं आईं थी तब अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. तब तक केवल 60-विषम याचिकाएं दायर की गई थीं. नागरिकता संशोधन अधिनियम को पिछले साल 11 दिसंबर को संसद द्वारा अनुमोदित किया गया था और 10 जनवरी को अधिसूचित किया गया था. यह कानून बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करता है. बशर्ते वे छह साल तक भारत में रहे हों.