तेल की बढ़ती कीमतों पर विपक्ष का आक्रोश

 24 May 2018  1227

 
संवाददाता/in24 न्यूज़ 

देश भर में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू किया तो ग्राहकों का भी गुस्सा अपने उच्च स्तर पर पहुँच गया।  आक्रोश देख सरकार के दिग्गज नेताओं ने मंथन शुरू किया, उम्मीद यह थी की सरकार बढ़ती दामों पर कोई ठोस कदम उठाएगी और इसके संकेत पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी दिए लेकिन ऐसा हो ना सका .कैबिनेट बैठक के बाद यह स्पष्ट हो गया कि सरकार पेट्रोल और डीजल के दाम कम करने की मूड में नहीं है।

सरकार की यह दलील है कि तेल का पैसा देश की विकास में लगाया जाता है ऐसे में लगता है कि सरकार ने विकास का लॉलीपॉप लोगो को थमा दिया। लोग त्रस्त है और वाहन रोजमर्रा की जरुरत है लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहे साथ ही तेल की आसमान छूती कीमतों से आम घरों का बजट बिगड़ा हुआ है। आपको बता दें कि साल 2010 में केंद्र सरकार ने तेल कंपनियों को तेल की कीमतें तय करने की छूट दी थी और एक कदम आगे जाकर मोदी सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार की कीमतों के मुताबिक़ तेल की कीमतों को तय करने की छूट तेल कंपनियों को दी।

अब सवाल उठना लाज़मी है कि क्या वाकई तेल की कीमतें सरकार के बस में नहीं। हाल ही में कर्नाटक चुनाव के दौरान तेल के दाम स्थिर थे जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लगातार दाम बढ़ते जा रहे थे और जैसे ही चुनाव खत्म हुआ उसके तुरंत बाद तेल की कीमतों में बेतहाशा इजाफा हुआ। इससे यह पता लगता है की तेल का चुनावी खेल भी है क्योंकि चुनाव के दौरान तेल की कीमतें स्थिर रहती है लेकिन चुनाव के बाद इन कीमतों में मानों आग लग जाती है।