राहुल गांधी की भारत जोड़ो 2.0 यात्रा कांग्रेस के लिए गेम चेंजर !

 14 Jan 2024  351

संजय मिश्रा/in24न्यूज़/मुंबई

 

देश के राजनीतिक भंवर में हिचकोले खा रही कांग्रेस पार्टी की सियासी नैया वैतरणी पार करने में कितनी कामयाब हो पाएगी यह तो दूर -दूर तक नज़र नहीं आ रहा लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी दांव पर दांव मारे जा रहे हैं. पहले "भारत जोड़ो यात्रा" और अब 14 जनवरी से "न्याय यात्रा". इस बार राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' मणिपुर से मुंबई तक होगी, जिसकी शुरुआत आज से हो रही है. दरअसल कन्याकुमारी से कश्मीर तक की 'भारत जोड़ो यात्रा' का पहला चरण काफी सफल रहा, क्योंकि इसने कम से कम वायनाड के सांसद की एक शांत राजनेता के रूप में धारणा को समाप्त कर दिया था. वह भारत जोड़ो यात्रा के दौरान गर्मी और बर्फ में और घुटने में चोट के बावजूद 3,500 किलोमीटर पैदल चले थे. हालांकि यह संदिग्ध है कि इस यात्रा ने कांग्रेस को राजनीतिक रूप से कितनी मदद की, लेकिन ये तय हो गया कि कम से कम इसने राहुल गांधी को काफी बढ़ावा जरूर दिया. कांग्रेस पार्टी की दूसरी यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत लोकसभा चुनाव की दहलीज पर है, लेकिन कांग्रेस को अभी भी चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ रहा है. इसने छत्तीसगढ़ और राजस्थान सहित तीन बड़े राज्य खो दिए, और पिछले साल तेलंगाना और कर्नाटक हासिल करने के बाद अब इसे बड़े पैमाने पर दक्षिणी पार्टी के रूप में देखा जाने लगा है. वहीं दूसरी ओर सहयोगी दल बेचैन हैं और गठबंधन में कांग्रेस को बड़े भाई या सबसे बड़े भागीदार के रूप में मानने से इनकार कर रहे हैं. राहुल गांधी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि यह यात्रा न केवल उनके लिए, बल्कि उनकी पार्टी की डूबती सियासी नैया को वैतरणी पार करा सके. हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने स्पष्ट किया कि “यह कोई राजनीतिक यात्रा नहीं है, इसका प्रमुख उद्देश्य भारतीय संविधान की प्रस्तावना की रक्षा करना है. 

     वहीं इस बार यात्रा के रूट को लेकर ही विवाद खड़ा हो गया है. राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए, मणिपुर इस बात का प्रतीक है कि वे इस चुनाव में भाजपा और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुकाबला करना चाहते हैं. वह मणिपुर संकट को भाजपा की विफलता और उसकी विभाजनकारी राजनीति का उदाहरण बताना चाहते हैं इसलिए, इसी सोच के साथ इम्फाल को शुरुआती बिंदु के रूप में चुना गया. इसके अलावा, कांग्रेस को उम्मीद है कि पूर्वोत्तर, जो हिंदू नहीं बल्कि ईसाई बहुल क्षेत्र है, यहां से कांग्रेस के क्षरण से उन्हें अपनी संभावनाओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा उन राज्यों से होकर गुजरेगी, जहां कांग्रेस के लिए झड़पें देखी जा रही हैं. बता दें कि यह यात्रा उत्तर प्रदेश के 23 जिलों में 11 दिनों तक चलेगी, जो महत्वपूर्ण है. हालांकि यह कभी गांधी के गढ़ माने जाने वाले अमेठी और रायबरेली से होकर गुजरेगी, लेकिन ऐसे समय में इसके रास्ते में अयोध्या नहीं है, जबकि राम मंदिर 2024 की अब तक की सबसे बड़ी घटना के रूप में उभरा है. क्या इससे यात्रा और उसके इरादे पर असर पड़ेगा? और क्या इंफाल से हरी झंडी दिखाने से कांग्रेस को मदद मिलेगी और क्या वह राहुल गांधी को मसीहा के रूप में देख पाएगी? ऐसे कई सवाल है, जिसके जवाब का हाशिए पर खड़ी कांग्रेस पार्टी और उसके कार्यकर्ता इंतजार कर रहे हैं.