संसद के मॉनसून सत्र में प्रश्नकाल के हटने से विपक्ष हुआ उग्र

 02 Sep 2020  490
संवाददाता/in24 न्यूज़। 
14 सितंबर से शुरू होने जा रहे संसद के मॉनसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल नहीं होने से आग बबूला विपक्ष ने सरकार पर गंभीर आरोप लगा रहा है। 17वीं लोकसभा का चौथा सत्र 14 सितंबर 2020 से शुरू होने जा रहा है। हालांकि, कोविड-19 महामारी के मद्देनजर संसद के दोनों सदनों में सांसदों के बैठने की व्यवस्था से लेकर वहां की कार्यवाहियों तक में बदलाव किया गया है। इसी क्रम में प्रश्नकाल को भी दैनिक कार्यवाही की सूची से निकाल दिया गया है। संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा और निचले सदन लोकसभा, दोनों में प्रश्नकाल की कटौती से विपक्ष आग बबूला हो उठा है.कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर  ने सदन की कार्यवाही से प्रश्नकाल को हटाने को लोकतंत्र और विपक्ष की आवाज को कुचलने से जोड़ दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'मैंने चार महीने पहले कहा था कि मजबूत नेता महामारी के बहाने को लोकतंत्र और विरोध को कुचलने के हथियार की तरह इस्तेमाल करेंगे। संसद सत्र का नोटिफिकेशन ये बता रहा है कि प्रश्नकाल नहीं होगा। हमें सुरक्षित रखने के नाम पर ये कितना उचित है?कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर  ने सदन की कार्यवाही से प्रश्नकाल को हटाने को लोकतंत्र और विपक्ष की आवाज को कुचलने से जोड़ दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'मैंने चार महीने पहले कहा था कि मजबूत नेता महामारी के बहाने को लोकतंत्र और विरोध को कुचलने के हथियार की तरह इस्तेमाल करेंगे। संसद सत्र का नोटिफिकेशन ये बता रहा है कि प्रश्नकाल नहीं होगा। हमें सुरक्षित रखने के नाम पर ये कितना उचित है?थरूर ने कहा कि सरकार से सवाल पूछना लोकतंत्र की आवश्यक शर्तों में शामिल है। उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में कहा, 'सरकार पर सवाल दागना संसदीय लोकतंत्र का ऑक्सिजन है। यह सरकार संसद को एक नोटिस बोर्ड की तरह इस्तेमाल करना चाहती है और अपार बहुमत का इस्तेमाल मनमाने पास करवाने में करती है। पारदर्शिता को बढ़ावा देने के एक तंत्र पर भी प्रहार कर दिया गया है। दरअसल, प्रश्नकाल हटाए जाने का मामला टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन  ने उठाया। उन्होंने बुधवार को ट्वीट किया, 'सांसदों को प्रश्नकाल के लिए संसद को 15 दिन पहले प्रश्न जमा करना जरूरी होता है। सत्र 14 सितंबर से शुरू है, इसलिए प्रश्नकाल रद्द किया गया? विपक्षी दलों के सांसदों ने सरकार से सवाल पूछने का अधिकार खो दिया। शायद 1950 से पहली बार? संसद के कामकाज के बाकी घंटे पहले की तरह ही हैं तो प्रश्नकाल क्यों रद्द किया गया? लोकतंत्र की हत्या के लिए महामारी का बहाना।'