दुष्कर्मी चाचा और मासूम पीड़िता भतीजी को ज़िंदा जलाने का फरमान

 25 Oct 2018  1260

संवाददाता/in24 न्यूज़।

 जब अपने ही रक्षक, भक्षक बन जाए तो इंसानियत तार-तार हो जाती है. जब किसी लड़की की इज्जत अपने ही घर में लूट ली जाती है और उसे उसी के समाज में जब दोषी ठहराया जाता है तो सवाल है कि वह किस से गुहार लगाए! समाज के ठेकेदारों से क्या न्याय की उम्मीद लगा सकते हैं! इसी समाज ने एक नाबालिग और मासूम को जिन्दा जलाने का फ़ैसला सुना दिया। यह मामला है झारखंड के चाईबासा के मंझारी थाना क्षेत्र का जहां पंचायत ने ऐसा फरमान सुनाया है. 

13 साल की मासूम भतीजी को चाचा ने हवस का शिकार बनाया, जिसकी वजह से वह गर्भवती हो गई। मामले की जानकारी होने पर गांववालों ने महापंचायत बुलाई। फिर महापंचायत ने 28 साल के चाचा को दुष्कर्म का आरोपी करार देते हुए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इसके बाद आरोपी और पीड़िता को जिंदा जलाने का तुगलकी फरमान सुना दिया गया। 

जानकारी के अनुसार महापंचायत ने यह फैसला सुनाया। इस दौरान 'हो आदिवासी समाज युवा महासभा' के पदाधिकारी और ग्रामीण मौजूद थे। महापंचायत ने दुष्कर्म के आरोपी चाचा को बुलाया था जहां उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। इसी वजह से उसे महापंचायत में सजा सुनाई गई। घटना की जानकारी मिलने पर एसपी क्रांति कुमार ने एसडीपीओ अमर कुमार पांडेय को जांच के आदेश दिए हैं। 
एसपी कुमार का कहना है कि यह काफी गंभीर मामला है। इसकी जांच की जा रही है। आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। गांववालों के मुताबिक आरोपी रोबिन अपने बड़े भाई के यहां रहता था। इसी बीच आरोपी छठी कक्षा में पढ़ने वाली 13 साल की मासूम भतीजी को डरा-धमकाकर उसके साथ दुष्कर्म किया करता था। जिसकी वजह से वह गर्भवती हो गई। मामला सामने आने के बाद ही पंचायत बुलाई गई थी। 

जानकारी के अनुसार "हो आदिवासी समाज युवा महासभा" के जिलाध्यक्ष गब्बर सिंह हेम्ब्रम ने यह फैसला पढ़कर सुनाया था। इस फैसले में कहा गया था कि कोई भी शख्स समुदाय से बढ़कर नहीं होता है। इस तरह की घटना दोबारा घटित न हो इसके लिए ‘हो’ परंपरा और रीति रिवाजों के अनुसार दोनों को जिंदा जलाने का फैसला सुनाया। वहीं पंचों ने इस सामाजिक फैसले का समर्थन किया।