मंदिर निर्माण के लिए 11 हज़ार लीटर दूध का अर्पण

 28 Dec 2020  1141

संवाददाता/in24 न्यूज़.
आस्था का सैलाब जब उमड़ता है तब श्रद्धालु किसी की परवाह किए बिना अपनी सोच को ध्यान में रखते हैं. राजस्थान के झालावाड़ जिले के रटलाई इलाके में मंदिर निर्माण के दौरान लोगों का जबरदस्त कौतूहल और अंधविश्वास देखने को मिला। दरअसल इलाके में देवनारायण मंदिर का निर्माण जारी है। इसके लिए नींव खोदी गई, अमूमन नींव में लोग गंगाजल या फिर पानी डालते हैं। मंदिर की आधारशिला रखने से पहले नींव भराई का कार्यक्रम हुआ, इस दौरान 11 हजार लीटर दूध, दही और देसी घी डाला गया। अब इस घटना को लेकर कुछ समझदार लोगों की राय है कि अगर इतना दूध, दही और घी किसी गरीब के हिस्से में आ जाता तो उनका कुछ भला हो पाता। जबकि जमीन में डालकर कोई फायदा नहीं मिला। खैर धार्मिक आस्था के आगे कोई कुछ बोल भी नहीं सकता है। सो, जो लोग नींव में दूध दही नहीं डाल सकते थे, वो बस तमाशबीन बने रहे। मंदिर निर्माण समिति के प्रवक्ता रामलाल गुर्जर ने इस वाकये को लेकर प्रतिक्रिया दी। उनके मुताबिक 11000 लीटर में से 1500 लीटर दही और 1 क्विंटल देसी घी था, जबकि बाकी दूध था और इसकी कुल लागत लगभग 1.50 लाख रुपये थी। दरअसल मंदिर निर्माण समिति की तरफ से गुर्जर समुदाय से अपील की गई थी कि वे नींव भराई में दूध दही का योगदान करें। राजस्थान का गुर्जर समाज मूल रूप से गाय और भैंस के दूध का कारोबार करता है। मंदिर प्रबंधन की अपील पर उत्साहित श्रद्धालुओं ने जमकर दान किया। मंदिर के पुजारियों से नींव में दूध दही डालने की परंपरा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इस तरह के वाकये पहले देखने को मिले हैं। जबकि ये गुर्जर समुदाय के लिए अनिवार्य परंपरा नहीं है। मंदिर प्रबंधन की दलील है कि भगवान से जो हमें मिलता है, उसमें से कुछ हमें भगवान के लिए योगदान भी करना होता है। बता दें कि जिस मंदिर निर्माण की हम बात कर रहे हैं, उसकी लागत करीब एक करोड़ रुपए है। मंदिर बनाने में दो सालों का वक्त लगेगा। इलाके के लोग भव्य मंदिर के निर्माण को लेकर उत्साहित हैं। पर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि परम्परा के नाम पाए आज भी अंधविश्वास को बढ़ावा देने वालों की कमी नहीं है.