ब्रेन डेड महिला के ऑर्गन से मिलेगी सात लोगों को नई जिंदगी

 16 Jan 2023  956

ब्यूरो रिपोर्ट/in24 न्यूज़/इंदौर

    मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में सोमवार को चार ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए. मुख्य तौर से ये कॉरिडोर ऑर्गन पहुंचाने के लिए बनाए गए. दरअसल बॉम्बे हॉस्पिटल में इलाज करा रही महिला को ब्रेन डेड घोषित करने के बाद उनके ऑर्गन डोनेट किए गए हैं. बॉम्बे हॉस्पिटल से महिला की दोनों किडनियां, लंग्स, लिवर और दोनों हाथ मुंबई, चेन्नई और इंदौर के दो अस्पतालों में भेजे गए. इसके साथ ही ब्रेन डेड महिला की दोनों आंखें और त्वचा भी डोनेट की गई हैं. इससे सात से ज्यादा लोगों को नई जिंदगी मिलेगी. मृतक महिला का नाम विनीता सुनील खजांची बताया जा रहा है जिनकी उम्र 52 साल थी. मृतक विनीता रतलाम कोठी की रहने वाली थी, उनके पति ट्रांसपोर्ट व्यवसायी हैं. ब्रेन संबंधी बीमारी के चलते विनीता को 13 जनवरी के दिन बॉम्बे हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था. रविवार की दोपहर डॉक्टरों की टीम ने उनका पहला परीक्षण कर ब्रेन स्टेम डेड घोषित किया. उसके बाद रात 8 बजे फिर डॉक्टरों की पैनल ने दूसरा परीक्षण कर उन्हें ब्रेन स्टेम डेड घोषित किया. न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. आलोक मांडले और डिप्टी डायरेक्टर मेडिकल सर्विस डॉ. दिलीप चौहान ने मृतक महिला के परिवार को ब्रेन डेड होने की जानकारी दी. महिला के पति सुनील खजांची और परिजनों ने उनके ऑर्गन्स डोनेट करने की इच्छा जताई. मुस्कान ग्रुप के सेवादार जीतू बगानी, संदीपन आर्य, लकी खत्री और राजेंद्र मखीजा ने परिवार और अस्पताल से समन्वय किया. उसके बाद इंदौर सोसाइटी फॉर आर्गन डोनेशन के अध्यक्ष (कमिश्नर) डॉ. पवन कुमार शर्मा और सचिव डॉ. संजय दीक्षित के निर्देशन में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए तैयारियां की. गौर करने वाली बात ये है कि मृतक महिला के परिवार में पहले भी तीन लोगों की निधन के बाद उनकी त्वचा, आंखें और देह दान हो चुकी है. प्राथमिकता के आधार पर लंग्स अपोलो हॉस्पिटल (चेन्नई), हाथ ग्लोबल हॉस्पिटल (मुंबई), लिवर चोइथराम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (इंदौर), एक किडनी बॉम्बे हॉस्पिटल में एडमिट पेशेंट और दूसरी किडनी सीएचएल हॉस्पिटल में एडमिट पेशेंट को ट्रांसप्लांट की जाएगी. इसके लिए चार ग्रीन कॉरिडोर बनाने के लिए स्थानीय और चेन्नई व मुंबई के हॉस्पिटल से संपर्क कर खाका तैयार किया गया. सुबह करीब 11.30 बजे पहला ग्रीन कॉरिडोर चेन्नई के लिए बनाकर लंग्स रवाना किए गए. फिर तीन अन्य कॉरिडोर मुंबई, चोइथराम हॉस्पिटल और सीएचएल हॉस्पिटल के लिए बनाकर तुरंत ऑर्गन पहुंचाए गए. ट्रांसपोर्ट व्यवसायी सुनील खजांची के पिता के निधन के बाद उनकी आंखें, त्वचा और देह दान की थी. आपको बता दें कि श्री सप्त नगरीय जैन श्री संघ के सामाजिक कार्यकर्ता और ट्रांसपोर्ट व्यवसायी सुनील खजांची पूर्व में भी समाज में हुए अंग दान में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते आए हैं. और अब एक बार फिर से अंग दान में उनके परिवार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो काबिले तारीफ है