शिवसेना के मुखपत्र सामना से कांग्रेस पर हमला, खटिया से की तुलना

 16 Jun 2020  559

संवाददता/in24 न्यूज़.  
महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन की सरकार तो है, मगर कई ऐसे मुद्दे हैं जिनपर इनमें आपसी टकराव होता रहता है. महाराष्ट्र में सत्ताधारी शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के माध्‍यम से गठबंधन की साझीदार कांग्रेस पर तंज कसते हुए तीखा हमला बोला है। कांग्रेस के मंत्रियों बालासाहेब थोराट और अशोक चव्हाण के हालिया बयानों को लेकर पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा है कि पुरानी खाट क्‍यों शोर मचा रही है? अपने इस लेख में शिवसेना ने कांग्रेस की तुलना खटिया से की है और संपादकीय का शीर्षक दिया है कि खटिया क्यों चरमरा रही है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या महाराष्ट्र सरकार में सभी दलों के बीच सबकुछ ठीक चल रहा है या नहीं। शिवसेना ने लेख में लिखा है कि दोनों मंत्री मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कहने वाले हैं। मुख्यमंत्री उनकी बात सुनेंगे और फैसला लेंगे। लेकिन कांग्रेस कहना क्या चाहती है? राजनीति की पुरानी खटिया कुरकुर की आवाज कर रही है? सामना के संपादकीय में कहा गया है कि राज्य के मामले में मुख्यमंत्री का फैसला ही आखिरी होता है, ऐसा तय होने के बाद कोई और सवाल नहीं रह जाता। शरद पवार ने खुद इसका पालन किया है। समय-समय पर मुख्यमंत्री से मिलते रहते हैं और सुझाव देते हैं। उनका अनुभव शानदार है। बता दें कि  एक साक्षात्‍कार में अशोक चव्हाण ने कहा था कि सरकार को कोई खतरा नहीं है, लेकिन सरकार में हमारी भी बात सुनी जाए। प्रशासन के अधिकारी नौकरशाही विवाद पैदा कर रहे हैं। हम मुख्यमंत्री से ही बात करेंगे! इसके बाद ये तय हुआ कि दोनों मंत्री महोदय मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कहने वाले हैं। शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय के अंतिम भाग में लिखा है कि कांग्रेस हो या एनसीपी दोनों ही राजनीति में मंझे लोगों की पार्टी है। उन्हें इस बात का पूरा अनुभव है कि कब और कितना कुरकुराना है और कब करवट बदलनी है. राजनीति अंततः सत्ता के लिए ही है और किसी को सत्ता नहीं चाहिए ऐसा बिलकुल भी नहीं है। लेकिन उद्धव ठाकरे ऐसे नेता नहीं हैं, जो सत्ता के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाएंगे। हर किसी के गले में मंत्री पद का हार है। हम यह नहीं भूल सकते कि शिवसेना का त्याग भी महत्वपूर्ण है। खाट कितनी भी क्यों न कुरकुराए या आवाज करे, कोई चिंता न करे, हम बस इतना ही कहना चाहते हैं.