नीतीश कुमार ने अपने लिए मांगे आखिरी बार वोट

 05 Nov 2020  499

संवाददाता/in24 न्यूज़.
बिहार में तीन चरणों में हो रहे विधान सभा चुनाव प्रचार के दौरान आखिरी दिन के प्रचार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा दांव खेलते हुए इस चुनाव को अपना आखिरी चुनाव बताया है और जनता से वोट मांगे हैं. बता दें कि बिहार चुनाव 2020 में अंतिम चरण का मतदान निर्णायक हो सकता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन अंतिम जनसभा को संबोधित करते हुए बड़ा ऐलान किया है। जिसके मुताबिक साल 2020 का चुनाव उनके लिए आखिरी चुनाव है। नीतीश कुमार ने धमदाहा विधानसभा में आखिरी जनसभा को संबोधित करते हुए बड़ा बयान दिया। माना जाता है कि नीतीश कुमार की तरफ से खेला गया ये इमोशनल कार्ड है। जिसके खिलाफ विपक्षी पार्टियां भी कुछ नहीं बोल सकती हैं। नीतीश कुमार वादे के पक्के नेताओं में शुमार हैं। उनके ऐलान के बाद इतना तय है कि वे 2020 के बाद चुनावी राजनीति से खुद को अलग कर लेंगे। नीतीश ने भावुक होते हुए जनता से आखिरी मौका देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अंत भला तो सब भला इसलिए आप आखरी मौका दें। नीतीश कुमार ने एक बार फिर जंगलराज की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि लालू राबड़ी राज में स्वास्थ्य विभाग का बुरा हाल था। अस्पतालों में चिकित्सा का घोर अभाव था। सड़के खराब थीं और लोगों के पास रोजगार नहीं थे। जबकि पंद्रह साल उनके शासन के बाद हालात बदल चुके हैं। नीतीश कुमार ने कहा कि गांवों को सड़कों से जोड़ा गया। लड़कियों को साइकिल और पोशाक सरकार ने दिये। हर घर तक नल का जल और हर घर बिजली पहुंचाया गया। नीतीश ने दावा किया कि उन्होंने जी जान से बिहार की सेवा की है। नीतीश कुमार ने तंज कसते हुए कहा कि एक समय ऐसा भी था जब कुछ लोगों को काम से वास्ता ही नहीं था। बदली हुई स्थिति में पीएचसी में हर माह करीब 10 हजार लोग इलाज कराने जाते हैं। डॉक्टर ड्यूटी पर तैनात होता है। दवाएं भी मुफ्त में मिलती है। नीतीश ने भरोसा दिलाया कि राज्य के खजाने पर हक आपदा पीड़ितों का है। बाढ़ पीड़ितों के लिए किये गए कामों की भी नीतीश कुमार ने याद दिलाई। नीतीश कुमार ने लालू विरोध के नाम पर खूब गोलबंदी की। बिहार के लोग भी मानते हैं कि लालू प्रसाद के शासन में बिहार में अपराध चरम पर था। जिस पर नीतीश कुमार ने लगाम लगाई। यही वजह है कि शुरुआती दौर में नीतीश को बिहार में अपार जनसमर्थन मिला, और दूसरी व तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई। हालांकि अब हालात बदल चुके हैं। लालू की लकीर पीटते हुए नीतीश हर बार चुनाव नहीं जीत सकते, ये सियासी जानकार भी मानते हैं। 15 साल का एंटी एन्कम्बेंसी फैक्टर उनके खिलाफ जा सकता है। साथ ही नीतीश के इर्द गिर्द संभावनाओं से भरे युवा नेताओं की बड़ी फेहरिस्त है। इन सब को देखते हुए माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के लिए मौजूदा साल 2020 का चुनाव आसान नहीं है। जनता नीतीश की इस भावनात्मक अपील को किस सन्दर्भ में लेती है यह दस नवंबर की तारिख तय करनेवाली है.