सातवीं बार मुख्यमंत्री की शपथ लेकर नीतीश बनाएंगे नया कीर्तिमान

 12 Nov 2020  477

संवाददाता/in24 न्यूज़.
बिहार में सुशासन बाबू के नाम से चर्चित नीतीश कुमार एकबार फ़िर मुख्यमंत्री बनकर नया कीर्तिमान स्थापित करने जा रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम 2020 न केवल रोमांचक रहा बल्कि इसने कई रिकॉर्ड बनाए और कई बनने से रोक भी दिया। एग्जिट पोल के मुताबिक राजद के तेजस्वी यादव अगर सीएम बनते तो उनके नाम सबसे कम उम्र के सीएम बनने का रिकॉर्ड होता। नीतीश कुमार ने भी सातवीं बार मुख्यमंत्री पद पर बैठकर देश की राजनीति में एक नया कीर्तिमान बना दिया है। दिवाली के बाद 16 नवंबर को जैसे ही नीतीश एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, उनके नाम एक नया गौरतलब है कि नीतीश से पहले अब तक किसी भी मुख्यमंत्री के नाम सात बार सीएम पद की शपथ लेने का रिकॉर्ड दर्ज नहीं है। बता दें कि वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश के चौथे मुख्यमंत्री रह चुके हैं। दिसंबर 2017 में भाजपा के जय राम ठाकुर द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने से पहले 1983 से 1990, 1993 से 1998, 2003 से 2007 और 2012 से 2017 तक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। हिमाचल प्रदेश राज्य के भी छह बार मुख्यमंत्री रहे हैं। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य हैं। 8 अप्रैल 1983 से 8 मार्च 1985 तक सीएम रहे। वर्ष 1985 के चुनाव में उन्होंने जुब्बल से फिर चुनाव जीता और दूसरी बार उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। वर्ष 1993 में कांग्रेस सरकार बनी तो वीरभद्र तीसरी बार सीएम बने। 5 मार्च 1998 से 24 मार्च 1998 तक वीरभद्र सिंह चौथी, 6 मार्च 2003 से 2007 तक पांचवीं, 2012 से 2017 तक छठी बार वीरभद्र सिंह सीएम बने. वहीं अब तक सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग के नाम दर्ज है। चामलिंग राजनैतिक दल सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के संस्थापक अध्यक्ष हैं, जो 1994 से लगातार सिक्किम में शासन में हैं। पवन कुमार चामलिंग के नाम सबसे लंबे समय यानी 25 वर्षों तक बिना किसी बाधा के सीएम रहने का रिकॉर्ड है। चामलिंग 2 दिसंबर 1994 को सत्ता में आए थे। इसके बाद उन्होंने अक्टूबर 1999, मई 2004, मई 2009 और मई 2014 में चुनाव जीता था। पवन के बाद लगातार सबसे ज्यादा वक्त मुख्यमंत्री रहने का गौरव बंगाल के ज्योति बसु के नाम था। वे 23 साल लगातार मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद माणिक सरकार लगातार 20 साल तक मुख्यमंत्री रहे। चामलिंग ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिन्होंने 23 साल तक पद संभाला था। चामलिंग से पहले सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु के नाम दर्ज था। ज्योति बसु 21 जून 1977 को मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद 6 नवंबर 2000 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे थे। इस तरह से वह कुल 23 साल, 4 महीने और 16 दिन एक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने कुल 8538 दिनों तक बंगाल पर शासन किया। 18 साल तक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में काम कर चुके मुथुवेल करुणानिधि भारतीय लेखक और राजनेता थे। वे तमिलनाडु के राजनीतिक दल द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) प्रमुख थे। वे 1969 में डीएमके के संस्थापक सीएन अन्नादुरई की मौत के बाद से इसके नेता बने थे। उनके नाम पांच बार (1969–71, 1971–76, 1989–91, 1996–2001 और 2006–2011) मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का रिकॉर्ड है। उन्होंने 60 साल के अपने राजनीतिक करियर में अपनी भागीदारी वाले हर चुनाव में अपनी सीट जीतने का रिकॉर्ड बनाया। नवीन पटनायक 2000 से लगातार ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे हैं। 2019 में उन्होंने ओडिशा में एक बार फिर लोकप्रियता हासिल की और लगातार पांचवीं बार पूर्ण जनाधार के साथ मुख्यमंत्री बनने में सफल हुए। ओडिशा के इतिहास में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का कीर्तिमान नवीन पटनायक के नाम ही दर्ज है। लाल थान्हावला 5 मई 1984 से 20 अगस्त 1986, 24 जनवरी 1989 से 3 दिसंबर 1998 तक दो बार, 11 दिसंबर 2008 से 15 दिसंबर 2018 तक दो बार यानी कुल पांच बार कांग्रेस पार्टी के सीएम रह चुके हैं। माणिक सरकार करीब 1998 से 2018 तक यानी 19 सालों तक त्रिपुरा के मुख्यमंत्री रहे हैं। माणिक सरकार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से संबद्ध हैं तथा पार्टी पोलितब्यूरो के सदस्य भी हैं। 2013 के विधानसभा चुनावों के बाद वे लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बने। वर्तमान में, वह त्रिपुरा विधान सभा में विपक्ष के नेता हैं। प्रकाश सिंह बादल ने 17 साल तक पंजाब में सीएम की कुर्सी संभाली है। प्रकाश सिंह बादल 1970–71, 1977–80, 1997–2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री और 1972, 1980 और 2002 में नेता विपक्ष रह चुके हैं। प्रकाश सिंह बादल पंजाब के तीसवें मुख्यमंत्री भी रहे हैं। तब उनका कार्यकाल 1 मार्च 2007 से 2017 तक रहा। लंबे समय तक पंजाब में भाजपा-अकाली दल का प्रमुख चेहरा बने रहने वाले प्रकाश सिंह बादल अकेले ऐसे नेता हैं, जो पांच बार पंजाब के मुख्‍यमंत्री बने। दक्षिण भारतीय राजनैतिक दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) की महासचिव और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री रह चुकीं जयललिता चार बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुकी थीं। अम्मा (मां) और पुरातची तलाईवी ('क्रांतिकारी नेता') नाम से जानी जानी वाली जयललिता (वर्ष 1991 से 1996, 2001 में, 2002 से 2006 तक और 2011 से 2014 तक) चार बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। वे 24 जून 1991 से 12 मई 1996 तक राज्य की पहली निर्वाचित मुख्‍यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री भी रही थीं। अप्रैल 2011 में जब 11 दलों के गठबंधन ने 14वीं राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल किया तो वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने 16 मई 2011 को चौथी बार मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली।यशवंत सिंह परमार भारतीय राजनीतिज्ञ थे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और हिमाचल प्रदेश राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे। ये 18 साल तक सीएम पद पर बने रहे। 2 मई 1981 को इनका निधन हुआ था। 1952 से 56 तक और 1963 से 24 जनवरी 1977 तक, दो बार परमार हिमाचल के मुख्यमंत्री पद पर अपनी सेवाएं देते रहे। गेगांग अपांग साल 1980 से 1999 तक अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। यानी उन्होंने 19 सालों तक राज्य में सत्ता संभाली है। देश की पहली ऐसी मुख्यमंत्री थीं, जिन्होंने लगातार तीन बार सीएम पद की शपथ ली। उन्होंने 15 वर्षों तक लगातार दिल्ली पर शासन किया। उन्होंने तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि बिहार में लालू यादव ने भी 15 सालों तक मुख्यमंत्री के तौर पर शासन किया है। बहरहाल, नीतीश कुमार ने अपने नाम सातवीं बार मुख्यमंत्री की शपथ का अनोखा कीर्तिमान अपने नाम कर लिया है.