सड़कों पर मची अफरा तफरी, अस्पताल के बाहर बिखरी लाशें, अपनों को खोने के गम में चीखते चिल्लाते लोग। आमतौर पर हमने फिल्मों में देखा होगा कि बड़े आयोजन में अचानक से अफरा तफरी मच गई। इस वजह से लोग एक दूसरे के ऊपर गिरने लगते हैं और अपनी जान गवां देते है। इसी तरह की घटना हाथरस में भी देखने मिला। हाथरस हादसे के बड़े ही भयावह वीडियो सामने आए। हाथरस घटना की सबसे बड़ी वजह है जनसंख्या दरअसल सत्संग में प्रशासन की ओर से लगभग 8 हजार लोगों के शामिल होने की अनुमति मिली थी, लेकिन देखते ही देखते कार्यक्रम में दो लाख से अधिक लोगों की भीड़ जुट गई। पर्याप्त जगह न होने के कारण लोग एक दूसरे से टकराने लगे हालांकि कार्यक्रम के आयोजकों को विशेष सुविधा का ध्यान रखना चाहिए था, जैसे की पर्याप्त बैठने और खड़े व्यवस्था के आधार पर ही भक्तों की संख्या को प्रवेश देना था। लेकिन इस तरह की कोई भी व्यवस्था या सुविधा सत्संग के दौरान देखने नहीं मिली।
वहीं खराब मैनेजमेंट की वजह से भारी संख्या में लोग कार्यक्रम में शामिल हुए। भारी भरकम भीड़ में कारण लोग अनियंत्रित होने लगे जिसकी वजह से ऐसा हादसा हुआ। गौरतलब है की किसी भी सत्संग के दौरान साधु संतों तक पहुंच पान मुश्किल होता है लेकिन प्रस्थान के दौरान आम जनता साधु संतों से मिलने के लिए काफी उत्सुक रहते है। और प्रशासन के गलत मैनेजमेंट की वजह से भीड़ एक साथ ही बाहर निकलने लगती है। हाथरस में भी इसी तरह का मंजर देखने मिला दरअसल कार्यक्रम के खत्म होने के बाद जब सभी लोग भोले बाबा के चरण स्पर्श के लिए उनकी तरफ दौड़ने लगे। उसी दौरान लोगों में धक्का मुक्की होने लगी और भगदड़ मच गया।
प्रशासन की जिम्मेदारी थी कि आयोजन स्थल पर अलग-अलग ब्लॉक बनाकर भीड़ को बांट देना था। इसी आधार पर एग्जिट प्वाइंट निर्धारित करना चाहिए था। इस बात का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए था की आवागमन और प्रस्थान के दौरान लोगों की आपस में धक्का मुक्की न हो। इसके लिए भीड़ को विशेष तौर पर मैनेज करना यह प्रशासन का कार्य था। कई बार ज्यादा भीड़ होने के कारण पीछे बैठे लोगों को माइक या किसी भी तरह की आवाज स्पष्ट नहीं पहुंच पाती और वहाँ तक सही जानकारी नहीं पहुंच पाती है। हाथरस में भी कार्यक्रम समाप्त होने के बाद भोले बाबा की निकलते ही उनके प्रशंसकों की भीड़ उनके आखिरी दर्शन के लिए उनके पीछे निकल गई जिस वजह से भगदड़ मच गया। और भीड़ में मौजूद पीछे से आनेवाले लोगों को अंदाजा ही नहीं रहा जिस वजह से अनियंत्रित भगदड़ में कई लोग जमीन पर गिर गए और पीछे से आनेवाले लोग उन्हे कुचलते हुए आगे बढ़ गई।
हालांकि यह प्रशासन की जिम्मेदारी थी की इतनी बड़ी भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए सर्विलेंस सिस्टम की व्यवस्था उपलब्ध करनी थी। सर्विलांस सिस्टम का मुख्य उद्देश्य किसी भी स्थान के भीतर होने वाली घटनाओं की निगरानी करना होता है। यह सिस्टम विभिन्न विधियों का उपयोग करता है जैसे कि सुरक्षा कैमरे, तार, रडार, सेंसर, और अन्य तकनीकों का उपयोग करते हुए सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। इसके अलावा जनसंख्या के हिसाब से वालंटियर की भी बड़ी संख्या होने चाहिए थी जो भीड़ को काबू कर सकते हालांकि इस तरह की कोई भी सिस्टम या मैनेजमेंट भोले बाबा के सत्संग के दौरान नहीं देखी गई और इतनी बड़ी घटना हो गई।
हाथरस की घटना की वजह से 116 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग जिंदगी मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं लेकिन अभी भी सत्संग सुनने वाले बाबा फरार है। पुलिस अभी भी भोले बाबा की तलाश कर रही है लेकिन बाबा का कोई सुराग नहीं मिल रहा। हाथरस में ये हादसा आयोजकों के साथ ही प्रशासन की चूक की वजह से हुआ। अगर प्रशासन वक्त रहते सत्संग में लोगों की संख्या बढ़ने पर वहां के सुरक्षा के इंतजामों के चेक कर लेता तो शायद इस तरह की दर्दनाक घटना नहीं घटती। हालांकि सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन की तरफ से सत्संग वाली जगह की व्यवस्था जांच की गई थी कि वो स्थान दो लाख लोगों के लिए ठीक है या नही? हाथरस हादसे के बाद लोगों को सबक लेनी चाहिए की पुनः इस तरह की घटना न घटे और सत्संग के दौरान सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाएं।