अंडमान-निकोबार में अब आईएनएस कुहासा

 10 Jan 2019  2892

भारतीय सेना समुद्री सरहद पर अपनी ताकत बढ़ाने के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप पर एक नया एयर बेस तैयार कर रही है जिसका नाम होगा आईएनएस कोहासा , दरअसल हिंद महासागर मे चीन की गतिविधियां बढ़ चुकी हैं. चीन की चुनौतियोंसे निपटने के लिए भारतीय नौसेना ने भी सुरक्षा के लिहाज से तैयारियों को रफ़्तार देना शुरू कर दिया है. भारतीय नौसेना अंडमान निकोबार द्वीप में एक नया एयर बेस शुरू करने जा रही है.  24 जनवरी को उत्तरी अंडमान के दीगलीपुर में नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुनील लाम्बा आईएनएस  कोहासा को नौसेना मे शामिल करने जा रहे हैं. आपको बता दें कि अभी तक अंडमान निकोबार में कुल तीन एयर बेस हैं. प्रशासनिक मुख्यालय पोर्टब्लेयर से  आईएनएस कोहासा की दूरी लगभग 180 किलोमीटर होगी। अगर हम आईएनएस कोहासा की बात करें तो फिलहाल हेलीकॉप्टर और डोंनियर विमानों के उतरने की सुविधा होगी, लेकिन भविष्य में इसकी हवाई पट्टी को और बड़ा किया जाएगा ताकि बड़े एयरक्राफ्ट भी यहां उतारे जा सकें. अंडमान निकोबार द्वीप समूह में सबसे उत्तर में बना पहला एयर बेस होगा। इससे पहले  पोर्टब्लेयर में एक बड़ा एयरपोर्ट है जिसका इस्तेमाल नौसेना और वायु सेना के अतरिक्त सिविल फ्लाइट्स के लिए भी किया जाता है. पोर्ट ब्लेयर के दक्षिण में कारनिकोबार में वायु सेना का एयरबेस है और इस द्वीप समूह के बिलकुल दक्षिण में कैंपबेलवे में नौसेना का एयरबेस आईएनएस बाज़ है.  आईएनएस कोहासा के शुरू हो जाने से द्वीप समूह के उत्तर में एक मजबूत एयरबेस तैयार हो जायेगा. 750 किलोमीटर लंबे अंडमान निकोबार द्वीप समूह में कुल 772 द्वीप हैं. भारत के मुख्य भूमि की दूरी 1200 किलोमीटर होने की वजह से इसे हिंद महासागर में भारत के सबसे दुरुस्त निगरानी  चौकी के रूप देखा जा रहा है, लेकिन इसकी स्थिति रणनीति दृष्टि से बेहद मजबूत है. यहां से इंडोनेशिया केवल नब्बे किलोमीटर, म्यांमार 45 किलोमीटर और थाईलैंड 550 किलोमीटर है और ये मलाक्का स्ट्रेट के बहुत पास है, जहां से चीन को 80 फीसदी माल जाता है.यहां चीनी जंगी जहाजों के अलावा सब मरीन की गतिविधियां लगातार होती रहती हैं. इसके लिए यहां तीनों  सेनाओं की मजबूत तैनाती होती है जिन्हें एक अलग कमान अंडमान निकोबार कमान के तहत रखा जाता है. यहां भारतीय नौसेना की एक ब्रिगेड के अलावा भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट भी होते हैं लेकिन सबसे बड़ी तैनाती नौसेना की होती है.