अगले आदेश तक कुलभूषण की फांसी पर रोक 

 18 May 2017  1436

ब्यूरो रिपोर्ट/in24 न्यूज़, मुंबई

पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में जज ने बड़ा फैसला पढ़ा. आईसीजे ने कहा कि इस मामले में अंतिम फैसला आने तक फांसी नहीं दी जाएगी. कोर्ट ने कहा दोनों पक्षों को इस आदेश को मानना पड़ेगा. दोनों ही देशों पर विएना समझौते के तहत यह आदेश बाध्यकारी है. कोर्ट ने एकमत होकर कहा कि पाकिस्तान को इस बात का आश्वासन देना होगा कि वह कुलभूषण को फांसी नहीं देगा. भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बड़ी जीत मिली है. नीदरलैंड के हेग में स्थित आईसीजे कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि भारत के द्वारा इस मामले में जिन अधिकारियों की बात कही गई है वह सही है. कोर्ट ने कहा कि भारत की मांग निष्पक्ष है. कोर्ट ने पाकिस्तान से कहा कि वह जाधव को अगस्त तक फांसी नहीं दे सकता। आपको बता दें कि कोर्ट के इस फैसले से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने यह भी कहा कि विएना समझौते के तहत भारत को कुलभूषण जाधव तक पहुंचने का पूरा हक है. भारत को पहले ही कुलभूषण से मिलने का मौका देना चाहिए था. इससे पहले कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों की दी गई दलीलों को दोहराया गया है. कोर्ट ने दोनों देशों की दलीलों पर गौर किया है. जाधव को फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 40 दिन का वक्त दिया गया, यह पाकिस्तान का कानून है. लेकिन जाधव ने ऐसा नहीं किया। हालांकि उसके परिवार ने आईसीजे का दरवाजा खटखटाया है.

कोर्ट ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच विएना समझौता है.कोर्ट ने कहा कि अदालत के पास भारत के दावे को स्वीकारने का हक है. लेकिन कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले पर कोर्ट को भी फैसला देने का हक है. कोर्ट ने पाकिस्तान द्वारा कुलभूषण जाधव तक भारत की पहुंच को रोकने पर भी ऐतराज जताया. कोर्ट ने कहा कि 2008 का द्विपक्षीय समझौता कोर्ट को नहीं बांध सकता है. कोर्ट अपना फैसला इस मामले में दे सकता है और यह वीएना समझौते के तहत है. आपको बता दें कि महाराष्ट्र के पवई में कुलभूषण जाधव के घर के बाहर इस आदेश के बाद लोगों में ख़ुशी का माहौल है. वहां भारत माता की जय के नारे लगाए गए और पटाखे फोड़े गए. कोर्ट के दिए गए आदेश पर अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह भारत के लिए सबसे बड़ी जीत है. कोर्ट ने सोमवार को भारत-पाकिस्तान की दलील सुनने के बाद अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था. आपको बता दें कि भारत की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने दमदार दलील रखते हुए कुलभूषण की फांसी की सज़ा को तत्काल रद्द किए जाने की मांग की थी. पाकिस्तान की ओर से कुलभूषण का काउंसलर एक्सेस न देने को भारत ने विएना समझौते का उल्लंघन बताया था. इसके साथ ही पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट में कुलभूषण पर चले मामले को न्याय का मजाक बतया था. वहीं पाकिस्तान की दलील थी कि ये मामला अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का नहीं है, भारत इसे राजनीति का रंगमंच बना रहा है.