जेल में बंद कैदी भी अब मुफ्त में कर सकेंगे पढ़ाई

 24 May 2022  484

संवाददाता/in24 न्यूज़.
शिक्षा का अधिकार हर किसी है. इसलिए अब अब जेल में बंद कैदी भी अपनी मर्जी से किसी भी कोर्स में एडमिशन लेकर पढ़ाई कर सकेंगे. इसके लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की एक यूनिट विशेष पहल कर रही है. दरअसल, इस पहल के जरिए शिक्षा मंत्रालय कैदियों की पढ़ाई बीच में न छूटने पर ध्यान दे रहा है. इस पहल के तहत कैदियों को उनकी पात्रता और इच्छा के अनुसार विभिन्न कोर्सो में दाखिला अथवा पाठ्यक्रमों में दाखिला मिल सकेगा. इसके साथ ही जेल में सजा काटने के दौरान ही कैदी जेल के अंदर ही अपनी कक्षाएं ले सकेंगे. उन्हें स्टडी मैटेरियल भी उपलब्ध कराया जाएगा. साथ ही सजा काट रहे इन कैदियों की जेल में ही परीक्षाएं भी होंगी. कैदियों को यह शिक्षा नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी. गौरतलब है कि एनआईओएस केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एक संस्थान है. यहां से प्राप्त की गई डिग्री डिप्लोमा या अन्य कोई सर्टिफिकेट जेल के बाहर आगे की पढ़ाई में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. एनआईओएस के मुताबिक, इन डिग्री डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के आधार पर जेल से रिहा होने वाले कैदियों को जेल के बाहर इससे संबंधित आगे की शिक्षा में इन डिग्रियों के आधार पर दाखिला मिल सकता है. एनआईओएस के मुताबिक, उन्होंने देश भर की जेलों में अध्ययन केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है. खास बात यह है कि जेल में बंद कैदियों को प्रदान की जाने वाली यह शिक्षा पूरी तरह मुफ़्त है. एनआईओएस के कहना है कि उनके द्वारा प्रदान किए गए प्रमाणपत्रों को उच्च शिक्षा, सरकारी नौकरियों और अन्य सभी उद्देश्यों के लिए मान्यता प्राप्त है. जेल में बंद कैदियों के अलावा एनआईओएस का मिशन लड़कियों, महिलाओं, ग्रामीण युवाओं, कामकाजी पुरुषों, एससीएस और एसटी, अलग-अलग विकलांग व्यक्तियों और अन्य वंचित व्यक्तियों को शिक्षा प्रदान करना है, जो किसी वजह से अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सके. बता दें कि हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री भी औपचारिक शिक्षा तंत्र से बाहर हो चुके व्यक्तियों की शिक्षा पर चिंता जाहिर करते हुए उन्हें शिक्षित करने की बात कह चुके हैं. दरअसल, देश में सभी आयु वर्ग के छात्रों के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की गई है. बावजूद इसके अभी भी युवाओं का एक ऐसा वर्ग है जो शिक्षा और शिक्षा नीति के प्रावधानों से बाहर है. यह युवाओं का वह वर्ग है जो औपचारिक शिक्षा के मौजूदा सिस्टम से बाहर है. ऐसे में शिक्षा के माध्यम से ही इन्हें जागरुक किया जा सकता है.