गर्भवती महिला को एचआईवी के कारण इलाज नहीं मिलने से नवजात शिशु की मौत
23 Nov 2022
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
आज भी एचआईवी संक्रमण वाले मरीज के साथ भेदभाव जारी है। इसका उदाहरण फ़िरोज़ाबाद (Firozabad) में देखने को मिला। एक 20 वर्षीय एचआईवी पॉजिटिव (HIV positive) गर्भवती महिला को डॉक्टरों द्वारा इलाज करने से मना कर दिया गया। प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसकी कुछ ही घंटों के बाद ही मौत हो गई। फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ संगीता अनेजा के मुताबिक महिला के परिवार से मिली शिकायत के आधार पर जांच के आदेश दे दिए गए हैं। चूड़ी बनाने के उद्योग में काम करने वाली महिला के पिता ने कहा कि निजी अस्पताल सामान्य प्रसव के लिए 20 हजार रुपये मांग रहा था। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के जिला क्षेत्र अधिकारी से परामर्श करने के बाद मैं अपनी बेटी को मेडिकल कॉलेज ले गया, जहां वह एक स्ट्रेचर पर लेटी रही और छह घंटे तक दर्द से कराहती रही। बार-बार अनुरोध करने के बावजूद कोई डॉक्टर उसकी मदद के लिए नहीं आया। जब मामला वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा तो एक नर्स उसे लेबर रूम में ले गई। उसने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। स्टाफ ने परिवार को बच्चे को देखने की अनुमति नहीं दी और उसे एक विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई में ले गए। अगली सुबह बच्चे की मौत हो गई। नाको की फील्ड ऑफिसर सरिता यादव ने कहा कि मैं एचआईवी पॉजिटिव महिला के लगातार संपर्क में थी। परिवार एक निजी अस्पताल में इलाज कराने में असमर्थ था, इसलिए मैंने उन्हें मेडिकल कॉलेज बुलाया। लेकिन कोई डॉक्टर या अस्पताल का कर्मचारी मेरे पास नहीं आया। घंटों तक मैंने चिकित्सा सहायता का अनुरोध किया। महिला बहुत दर्द में थी। मैंने वरिष्ठ अधिकारियों को घटना से अवगत कराया है। शादी के एक साल बाद पति से अलग होने के बाद महिला फिरोजाबाद में अपने माता-पिता के साथ रह रही है। उसके परिवार ने दावा किया कि शादी के तुरंत बाद उसे एचआईवी संक्रमण हो गया। मगर सवाल यह भी गंभीर है कि निजी अस्पताल में किस कदर मनमानी चल रही है!