सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम लॉ बोर्ड ने जतायी नाराजगी
15 Jul 2024
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कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के सीआरपीसी सेक्शन 125 के आधार पर मुस्लिम युवक की याचिका को ख़ारिज करते हुए उसे तलाक़शुदा पत्नी को गुजरा भत्ता देने का आदेश दिया था। न्यायालय के आदेश के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) में हड़कंप मच गया।
दरअसल मुस्लिम महिला (तलाक संबंधी अधिकारों का संरक्षण) कानून, 1986 इस स्पेशल कानून के मुताबिक मुस्लिम महिला केवल इद्दत के दौरान गुजारा भत्ता पाने की पात्र है, तलाक के बाद वह स्वतंत्र रह सकती है या फिर किसी और से शादी भी कर सकती है। मुस्लिम समुदाय का तर्क है की अगर पति-पत्नी में रिश्ता ही नहीं बचा तो फिर पति को महिला का खर्च उठाने की कोई जरूरत नहीं।
वहीं रविवार को AIMPLB की वर्किंग कमेटी ने एक बैठक कर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर चर्चा की। इस बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया कि यह फैसला 'शरिया' (इस्लामी कानून) के खिलाफ है। प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन महिलाओं के लिए और ज्यादा समस्याएं पैदा करेगा जो अपने दर्दनाक रिश्तों से सफलतापूर्वक बाहर आ चुकी हैं।
दरअसल एक मुस्लिम शख्स मोहम्मद अब्दुल समद ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुजारा भत्ता को लेकर अहम फैसला दिया। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के निर्देश के खिलाफ मुस्लिम शख्स के जरिए दायर याचिका को खारिज कर दिया।
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