महाराष्ट्र में बढ़ा आई फ्लू का खतरा, सामने आए लगभग 2 लाख केस
06 Aug 2023
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शुभम मिश्रा/in24न्यूज
क्या आपकी आंखें लाल हैं, आंखों से पानी आ रहा है, दर्द या जलन हो रही है तो इसका मतलब आई फ्लू ने आपको जकड़ लिया है. बारिश और बाढ़ के मौसम में आजकल पिंक आई या कंजक्टिवाइटिस आम समस्या बन गई है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, ये ऐसी बीमारी है जो सीधे संपर्क में आने से तेजी से फैलती है. इसलिए भीड़ में, सार्वजनिक वाहन से सफर करने के दौरान इस बीमारी के चपेट में आने की पूरी आशंका है. इस बीमारी की चपेट में आने से आंखें लाल, खुजली, ज्यादा आंसू आना और आंखों में जाला जैसा महसूस होता है. देश में इन दिनों कंजंक्टिवाइटिस, जिसे आई फ्लू या पिंक आई भी कहा जाता है, इसके मामले बड़े पैमाने पर सामने आ रहे हैं. खासकर, दिल्ली एनसीआर, महाराष्ट्र और कर्नाटक में इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है. आई फ्लू बैक्टीरियल इंफेक्शन, वायरल इंफेक्शन या फिर एलर्जी से हो सकता है. इन दिनों मौसम में नमी के कारण यह और तेजी से फैल रहा है. यह बीमारी सबसे ज्यादा बच्चों में फैल रही है. डॉक्टरों की माने तो इसका कोई विशेष इलाज नहीं है. आमतौर पर यह 3-5 दिनों तक रहता है, इस दौरान सफाई बनाए रखना, गंदे हाथों से आंखों को न छूना और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है. यदि महाराष्ट्र की बात करें तो महाराष्ट्र में आई फ्लू के मामले बेहद तेजी से बढ़ रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक 3 अगस्त तक महाराष्ट्र में आई फ्लू के करीब 1 लाख 87 हजार मामले दर्ज किए गए हैं. राज्य में बुलढाणा जिले में सबसे अधिक आई फ्लू के मरीज पाए गए हैं, बताया जा रहा है कि बुलढाणा में 30 हजार से अधिक आई फ्लू के मामले सामने आए हैं. इसके अलावा पुणे, अमरावती और जलगांव जिले में भी बड़े पैमाने पर आई फ्लू के मामले सामने आए हैं. वहीं बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लोगों से सावधानी बरतने और आई फ्लू होने पर डॉक्टर से सलाह लेने की अपील की जा रही है. आपको बता दें की यह एक दूसरे को देखने से नहीं बल्कि एक दूसरे का सामान, जैसे साबुन, कपड़े और विस्तर इस्तेमाल करने से फैलता है. ऐसे में यदि आपके घर में भी कोई सदस्य आई फ्लू का मरीज है तो उसे सावधानी बरतने के लिए कहें. ताकि अन्य लोग इसकी चपेट में ना आएं. चिकित्सकों के अनुसार इस मौसम में बच्चों में आई फ्लू होने की आशंका अधिक होती है, क्योंकि वे बड़ों की तुलना में शारीरिक रूप से ज्यादा एक्टिव होते हैं और ज्यादातर समय समूहों में रहते हैं. ऐसे में पैरेंट्स को सतर्क रहने की जरूरत है.