मुंबई में जहीर कुरेशी स्मृति व्याख्यानमाला 2 में जुटे दिग्गज

 10 Apr 2023  683

संवाददाता/in24न्यूज़.

'गोपाल सिंह नेपाली के जादुई आकर्षण ने गीत को रौब और रुतबा दिया। बच्चन जी ने कहा है कि नेपाली को सुनने दस- दस कोस से लोग पैदल आते थे।नेपाली, बच्चन और नीरज ने हिंदी कविता को समाज से जोड़ा वरना दिनकर को तो जुगनुओं ने घेरा था। नवगीत तो आधुनिक जीवन की अभिव्यक्ति है'।
यह विचार प्रख्यात गीतकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र ने 'कथा' और 'दीनदयाल मुरारका फाउंडेशन' द्वारा आयोजित 'नवगीत:कल, आज और कल' विषय पर जहीर कुरेशी स्मृति व्याख्यानमाला 2 में व्यक्त किये। वरिष्ठ नवगीतकार डॉ राजेंद्र गौतम ने कहा कि 'नवगीत सतत विकसनशील काव्य रूप है।गीत से नवगीत अहं से वयं तक की यात्रा है। 'प्रख्यात कवयित्री व अभिनेत्री दीप्ति मिश्र ने कहा कि 'जहीर कुरेशी ने तत्सम शब्दों और उर्दू के जरिए दो संस्कृतियों को जोड़ने का जरूरी काम किया'।प्रख्यात व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय ने कहा कि 'जहीर कुरेशी बेहतरीन इंसान और लाजवाब रचनाकार थे। वे हर दौर में याद रहेंगे'।
        कार्यक्रम के संयोजक व कथाकार, पत्रकार हरीश पाठक ने कहा कि 'जहीर साहब को भुला पाना मेरे लिए असंभव है। वे मेरे बुरे दिनों के सच्चे साथी थे। वे अपनी रचनाओं में आम जन को हाशिए से मुख्य धारा में लाये'।
      तीन सत्रों में चले इस शुद्ध साहित्यिक आयोजन के दूसरे सत्र में बुद्धिनाथ मिश्र ने अपने जग प्रसिद्ध गीत 'जाल फिर फेंक रे मछेरे, न जाने किस मछली में बंधन की चाह हो' सहित कई गीत सुनाकर खचाखच भरे सभागार को तालियों से भर दिया। डॉ राजेंद्र गौतम ने 'तुम हमारी जान ले लो, यह बहुत सस्ती मिलेगी' सहित कई गीत प्रस्तुत किये।इसके बाद प्रख्यात गायक, संगीतकार सुधाकर स्नेह ने जहीर कुरेशी की गजलों व नवगीतों की शानदार प्रस्तुति दे कर आयोजन को बहुत ऊंचाई तक पहुँचा दिया।
     कार्यक्रम का संचालन डॉ शैलेश श्रीवास्तव, स्वागत भाषण श्रीमती कमलेश पाठक व आभार दीनदयाल मुरारका ने व्यक्त किया।
      इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार, पूर्व सांसद संतोष भारतीय, फौजिया अरसी, सुदर्शना द्विवेदी, वंदना शर्मा, करुणाशंकर उपाध्याय, संजीव निगम, सुभाष काबरा, चित्रा देसाई, नीलकंठ पारटकर, विवेक अग्रवाल, मंजुला जोशी, आभा दवे, नीता वाजपेयी, संगीता वाजपेयी, कुसुम तिवारी, नीलिमा पांडेय, वर्षा सिंह, अर्चना उर्वशी, कीर्ति शर्मा, देवमणि पांडेय, रासबिहारी पांडेय, पवन तिवारी, दिनेश पाठक, असीमा भट्ट, ओमप्रकाश तिवारी, प्रदीप श्रीवास्तव, डॉ प्रमोद श्रीवास्तव 'पल्लवित' सहित महानगर के कई कवि, कथाकार, रंगकर्मी, फिल्मकार व संस्कृतिकर्मी उपस्थित थे।