साथ रहना हो मुश्किल, पास आने की न हो गुंजाइश तो खत्म हो सकती है शादी: सुप्रीम कोर्ट
10 Oct 2019
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
शादी दो दिलों का बंधन होता है. इसके अलावा सामाजिक स्तर पर भी शादी का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने 22 साल से एक दूसरे से अलग रह रहे दंपत्ति के वैवाहिक संबंधों को खत्म कर दिया. न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त विशेष अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कहा कि यह ऐसा मामला है, जिसमें वैवाहिक रिश्ते जुड़ नहीं सकते हैं. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि इस वैवाहिक रिश्ते को बनाये रखने और संबंधित पक्षों में फिर से मेल मिलाप के सारे प्रयास विफल हो गए हैं. पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि अब इस दंपत्ति के बीच रिश्ते जुड़ने की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि वे पिछले 22 साल से अलग-अलग रह रहे हैं और अब उनके लिए एक साथ रहना संभव नहीं होगा. पीठ ने अपने फैसले में कहा, इसलिए, हमारी राय है कि प्रतिवादी पत्नी को भरण पोषण के लिये एक मुश्त राशि के भुगतान के माध्यम से उसके हितों की रक्षा करते हुए इस विवाह को विच्छेद करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अधिकार के इस्तेमाल का सर्वथा उचित मामला है.' शीर्ष अदालत ने ऐसे अनेक मामलों में विवाह विच्छेद के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल किया है, जिनमें न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि उनमें वैवाहिक संबंधों को बचाकर रखने की कोई संभावना नहीं है और दोनों पक्षों के बीच भावनात्मक रिश्ते खत्म हो चुके हैं. न्यायालय ने हाल में एक फैसले में पत्नी की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि दोनों पक्षों की सहमति के बगैर संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करके भी विवाह इस आधार पर खत्म नहीं किया जा सकता कि अब इसे बचा कर रखने की कोई गुंजाइश नहीं है.