ओड़िशा के समुद्री बीच पर लाखों की संख्या में अंडे देने पहुंचा कछुओं का दल
28 Mar 2020
858
संवाददाता/in24 न्यूज़.
कुदरत के अपने नियम कानून होते हैं. ये अलग बात है कि कोरोना से बचने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा है। ऐसे में कछुओं की एक दिलचस्प खबर सामने आई है. बता दें कि ओड़िशा के समुद्र तट पर इस बार अंडे देने के लिए सात लाख नब्बे हजार ओलिव रिडले कछुए पहुंचे हैं। जाहिर है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरों को देखते हुए देश भर में लॉक डाउन कर दिया गया है। इससे पॉल्यूशन लेवल काफी कम हुआ है। जिसकी वजह से समुद्री जीवन में भी बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस महामारी ने लोगों को घर पर रहने के लिए मजबूर किया है। इसी के चलते ओडिशा के रुशिकुल्या में गहिरमाथा समुद्र तट पर आठ लाख से अधिक ओलिव रिडले पहुंचे हैं। बेरहमपुर डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर, अमलान नायक के अनुसार 22 मार्च को लगभग 2 बजे, 2,000 मादा ओलिव रिडलिस समुद्र से समुद्र तट से बाहर निकलने लगीं। ऐसा माना जाता है कि मादा कछुए उसी समुद्र तट पर वापस लौटती हैं जहां उन्होंने अंडे दिए थे। इस लिहाज से ओडिशा का तट उनके लिए सबसे बड़ा सामूहिक घोंसला बनाने वाली जगह है। रिपोर्ट के अनुसार मानव घुसपैठ और तट पर कचरे के ढेर ने उन्हें 2019 में घोंसले से दूर रखा था। वन विभाग के अनुसार, 2,78,502 से अधिक मां कछुए दिन-प्रतिदिन की घोंसले की गतिविधि का एक हिस्सा बन गए। ओड़िशा के तट पर इस बार सात लाख नब्बे हजार ओलिव रिडले कछुए पहुंचे हैं। इन कछुओं ने गहिरमाथा और रूसीकुल्य में छह करोड़ से ज्यादा अंडे दिए हैं। अगर इसे कोरोना का गुड इफेक्ट कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। मंगलवार की सुबह से 72,142 से अधिक ओलिव रिडले घोंसले खोदने और अंडे देने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे हैं। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के चलते मछुआरों और टूरिस्टों की गतिविधि ठप पड़ी है। माना जा रहा है कि इसी के चलते इतनी बड़ी संख्या में इस बार कछुए पहुंच सके हैं। ये गतिविधियां पिछले पांच दिनों के दौरान की हैं, जब ओडिशा के गंजाम जिले के 6 किलोमीटर लंबे रुशिकुल्या समुद्र तट पर बड़े पैमाने पर घोंसले के शिकार के लिए ओलिव रिडले समुद्री कछुए आए हैं। इस मामले में जंगलकथा विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर इंसानों की गतिविधियां सीमित नहीं होती तो इनमें से बहुत सारे रास्ते में ही मारे जाते या फिर अन्य बाधाओं के चलते पहुंच ही नहीं पाते।