आत्महत्या से पहले पीएम मोदी के नाम 15 साल की आंचल का पैगाम

 19 Aug 2020  953

संवाददाता/in24 न्यूज़.
मात्र 15 साल में कोई बच्ची दुनिया को समझे और अपनी ज़िंदगी बिना समझे निराश होकर आत्महत्या कर ले तो समाज पर कई सवाल उठते हैं कि आखिर आंचल ने ऐसा कदम क्यों उठाया! उत्तर प्रदेश के जिले संभलपुर की आंचल इस दुनिया में लोगों की गतिविधियों से खफा होकर दुनिया छोड़ देने का ही फैसला ले लिया। 15 साल की छात्रा ने प्रधानमंत्री के नाम 19 पन्ने का चिट्ठी लिखकर इस दुनिया छोड़कर चली गई । पत्र में आंचल ने दुनिया, देश व समाज के हालात पर चिंता जाहिर की । बढ़ते प्रदूषण और बढ़ती जनसंख्या जैसे मुद्दे उठाकर प्रधानमंत्री से समाधान की उम्मीद जताई । आंचल के आत्महत्या के बाद परिजन इस चिट्ठी को प्रधानमंत्री को सौंपने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं। आंचल ने सुसाइड नोट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए लिखा है कि देश में कई पीएम हुए पर माननीय प्रधानमंत्री जी आप जैसा कोई नहीं। मेरे हृदय में आपके लिए अत्यधिक सम्मान है, काश मैं अपनी उम्र आपको दे पाती। आपमें संस्कार कूट-कूटकर निवास करते हैं। यह देश वर्षों से अंधेरे में था और आप पहले सूर्य बनकर उभरे हैं। प्रधानमंत्री जी मैं आपसे पर्सनल मीटिंग करना चाहती थी, परंतु यह असंभव है क्योंकि आप खुद को ही समय नहीं दे पाते हो। निरंतर देश की सेवा में लगे रहते हो।  श्री राम मंदिर का शिलान्यास होने को लेकर कहा, बरसों से अधूरे पड़े कार्यों को आपने पूर्ण किया, जय श्री राम। परिस्थितियां बड़ी अनमोल होती हैं, क्योंकि कभी हमें पार लगा देती है तो कभी डुबो देती हैं। मैं निराकार अर्थात शिव के निष्काल रूप से प्रार्थना करती हूं कि भारत को मजबूत बनाएं, अमर बनाएं। भारत तो औषधि का देश है, पर अब प्रदूषित हवा हर जगह फैल रही है। प्रधानमंत्री जी... क्या आप मेरी इच्छाओं को पूर्ण कर सकेंगे? आंचल ने लिखा कि प्रधानमंत्री आप जानते हैं कि चायना भारत को खिलौने आदि प्लास्टिक का सामान भेजता है। वह खिलौने महीने तो दूर कुछ ही दिन चलते हैं और वह कूड़ा भारत की जमीन को और जहरीला बना देता है। लोग सड़कों पर कूड़ा फैलाते हैं तो उन पर कार्यवाई की जाए तथा उन्हें डस्टबिन उपलब्ध कराए जाएं। छोटी नदियों के आधा किलोमीटर तथा बड़ी नदियों के एक किलोमीटर तक वृक्षों का रोपण करवाएं इससे बहुत अधिक फायदा होगा। आप वाटर हार्वेस्टिंग पर भी जोर दें। दीपावली पर पटाखे पर प्रतिबंध लगा दीजिए। सिर्फ फुलझड़ी का उपायोग करने की इजाजत हो। बिजली की लाइट झालर की जगह माटी के दिया और मोमबत्ती पर जोर दें। होली पर केमिकल वाले रंगों का उपयोग कम करवाए। जैसे हम अपने मस्तक पर टीका लगाते हैं सिर्फ उसी भाग पर रंग लगाया जाए।  बरगद के पेड़ अधिक लगवाए और सड़क के रास्ते पर आम और लीची के पौधे लगवाएं। किसी का पेट भी भरेगा और पेड़ छांव भी प्रदान करेगा। कुछ लोगों के पास सौ डेढ़ सौ बीघा जमीन है। उनसे आधी जमीन लेकर पेड़-पौधे लगाए जाएं। आप सोलर पैनल योजना बनाएं। जिस घर में जितनी बिजली की खपत हो उसी के हिसाब से छतों पर पैनल लगाए। इससे बिजली की समस्या का समाधान होगा क्योंकि कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली नहीं पहुंच पाती है।अंत में आंचल ने लिखा कि मेरे देश के प्रधानमंत्री आपको नमन है। मैं आत्महत्या अपनी इच्छा से कर रही हूं। इसका कोई भी जिम्मेदार नहीं है, न कोई घर वाला न कोई बाहर वाला। मम्मी से माफी मांगना चाहती हूं। मम्मी पता नहीं मुझे क्या हो गया है। ऐसा लगता है कि कोई मुझे जीते हुए नहीं देखना चाहता। मैं मजबूर हूं, मेरे दिमाग ने क्या बना दिया, नर्क कर दी है मेरी जिंदगी। हां यह शरीर सिर्फ कपड़ा है जो कमजोर था... अलविदा! बता दें कि इस पत्र ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ आंचल के साथ जिससे उसने इतना खतरनाक कदम उठा लिया!