सावधान ! मुंबई में नकली पुलिस और नकली पुलिस स्टेशन !
17 Jan 2017
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ब्यूरो रिपोर्ट / in24 न्यूज़
मुंबई में नकली पुलिस और नकली पुलिस स्टेशन का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। मुंबई के व्यापारी किशोर गोखरू के हांथ पांव उस समय फूल आये जब लोकल ट्रेन के विकलांग डिब्बे में सफर करने के दौरान उनका पाला नकली पुलिस से पड़ा। घटना है 10 जनवरी की जब सड़क की ट्रैफिक से बचने के लिए किशोर ने ट्रेन से सफर करना तय किया। अंधेरी से भायंदर जाने के लिए किशोर ने सेकंड क्लास की टिकट लिया लेकिन लोकल ट्रेनों में खचाखच भीड़ होने की वजह से किशोर ने लगभग 5 ट्रेन छोड़ी में शाम 7.30 बजे किशोर को अंधेरी से विरार जाने वाली लोकल ट्रेन मिली लेकिन उसमे भी भारी भीड़ होने की वजह से अफरातफरी में किशोर विकलांग डिब्बे में चढ़ गए। उन्होंने सोचा कि बोरीवली में उतर कर विकलांग डिब्बे से वे सामान्य डिब्बे में चले जायेंगे लेकिन भीड़ ज्यादा होने की वजह से किशोर बोरीवली रेलवे स्टेशन पर नहीं उतर पाए और जैसे ही मीरा रोड स्टेशन आया वैसे ही कुछ लोग अपने आपको पुलिस वाला बताकर विकलांग डिब्बे में मौजूद सामान्य लोगों को पकड़ कर अपने साथ मीरा रोड स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 1 से कुछ ही दूरी पर स्थित एक खंडहर ईमारत में ले गए जहां 10X10 के एक अंधेरे कमरे में पहले से ही कुछ रेल यात्रियों को बिठाया गया था।
किशोर को उक्त खंडहर ईमारत में ले जाने वाले चार लोग थे जो अपने आप को रेलवे पुलिस बता रहे थे लेकिन उन चारों में एक शख्स खुद विकलांग था जिस पर किशोर को उन पर संदेह हुआ। किशोर से 1200 रुपये का दंड वसूला गया लेकिन जब किशोर ने उनसे वसूले गए दंड की रशीद मांगी तो उन्होंने साफ़ तौर से इनकार कर दिया यही नहीं कथित पुलिस कर्मियों ने रेलवे के नियम कानून से संदर्भित एक नोटिस लेमिनेट कर वहां लगा रखा था जिसका फोटो अपने मोबाइल से निकालने गए किशोर को उन लोगों ने रोक दिया। जब किशोर ने कथित पुलिस कर्मियों से सवाल - जवाब करना शुरू कर दिया तो उनलोगों ने किशोर को वहां से चले जाने को कहा। 10X10 के अंधेरे कमरे से बाहर निकलते ही किशोर ने रेलवे के हेल्पलाइन नंबर पर फोन कर सबसे पहले यह जानने की कोशिश की कि क्या जीआरपी पुलिस रेलवे कानून तोड़ने वालों से दंड वसूलती है तो उन्हें वहां से यह पता चला कि जीआरपी का काम सिर्फ कानून का उल्लंघन करने वालों को पकड़ कर कोर्ट में पेश करना होता है।
इसके साथ ही किशोर को यह भी बताया गया कि मीरा रोड रेलवे स्टेशन पर महज दो रेलवे पुलिस तैनात किये गए हैं वो भी वर्दी पहन कर अपनी ड्यूटी का निर्वाह करते हैं और मीरा रोड रेलवे स्टेशन पर किसी तरह का कोई रेलवे पुलिस स्टेशन नहीं है जिसके बाद मीरा रोड के नकली पुलिस स्टेशन और नकली पुलिस की सारी सच्चाई सामने आ गयी। मामला पहुंचा है रेलवे पुलिस कमिश्नर निकेत कौशिक के पास जहां इस मामले पर निकेत कौशिक का कहना है कि हमारे सिपाही ट्रेन की कोच में जाकर निरिक्षण नहीं करते वह काम आरपीएफ का है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित भारत वर्ष के सबसे बड़े सरकारी संस्थान का मजाक उड़ाने वाले ठगों और नटवरलालों पर प्रशासन की नजर क्यों नहीं पड़ती। आखिर क्यों आम जनता को अपने झांसे में लेने के लिए नटवर लालों की फ़ौज ज्यादातर रेलवे स्टेशन को अपना अड्डा बनाते हैं क्या इसमें रेल महकमे के अधिकारियों की मिलीभगत तो नहीं, ऐसे कई सवाल हैं जिसकी चर्चा अब चारों तरफ से उठने लगी है।