हर किसी के व्यवहार निर्माण का आंदोलन है मेरा भारत स्वच्छ : उमा भारती
15 Sep 2018
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संवाददाता/in24 न्यूज़। उमा भारती के अनुसार मेरा भारत स्वच्छ अभियान के तहत हर किसी के व्यवहार का निर्माण ही अपने आप में आंदोलन है. उमा भारती के मुताबिक स्वच्छता के महत्व को सर्वप्रथम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने समझा था। उन्होंने महिलाओं के उस मर्म को समझा कि उन्हें शौच के लिए अंधेरे का इंतजार करना पड़ता है। उनकी इस पीड़ा को ही व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था कि स्वच्छता के अभाव में हमारी महिलाएं दिन के उजाले की बंदी हैं, ऐसे में वह स्वच्छता को स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण मानते थे।
वर्ष 2014 के पूर्व देश की करीब 30 करोड़ महिलाओं को शौचालय के अभाव में इस अपमानजनक पीड़ा को सहना पड़ता था। स्वच्छ भारत मिशन ने ‘स्वच्छ शक्ति’ के माध्यम से महिलाओं की इस पीड़ा को समझा तथा इस दिशा में ठोस प्रयत्न आरम्भ किया। तब से देश में आठ करोड़ से ज्यादा शौचालयों का निर्माण हुआ है। 445 जिले और चार लाख से अधिक गांव पूर्णत: खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। इस जन आंदोलन का नेतृत्व अधिकांशत: महिलाओं ने किया है। इसमें गंगा तट से लगे हुए 4465 गांव भी शामिल है जिन्हें पूर्णत: खुले में शौच मुक्त किया जा चुका है। इन गांवों में अब महिलाओं के नेतृत्व में तरल एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं वृक्षारोपण का भी कार्य किया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन सिर्फ शौचालयों के निर्माण का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक व्यवहार निर्माण का आंदोलन भी है जिसमें सदियों से चली आ रही खुले में शौच की प्रथा को बंद करना मुख्य लक्ष्य है। इस अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य को करने में देश की महिलाओं ने बढ़-चढ़कर अपने-अपने क्षेत्रों में महिला टोली, निगरानी समिति बना कर लोगों को समझाने एवं स्वच्छ व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित किया है। देश के कई हिस्सों में महिलाओं ने राज मिस्त्री का प्रशिक्षण लेकर स्वयं भी शौचालय निर्माण का कार्य किया है। यह उनके प्रयास का ही परिणाम है कि स्वच्छ भारत मिशन लोगों के खुले में शौच की आदत को बदलने में सफल हुआ है।