हार के डर से नरम पड़ी भाजपा।
17 Sep 2018
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आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने अपनी सहयोगी पार्टियों के प्रति नरमी बरतना शुरू कर दिया है वहीं भाजपा और शिवसेना के बीच आयी खटास भी कम होती नजर आ रही है इसका श्रेय आरएसएस को माना जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कर्नाटक के चुनावी नतीजे आने के बाद भाजपा और संघ ने मंथन किया था जिसमे उन्होंने पाया कि भाजपा को दोबारा सत्ता हासिल करना है तो एनडीए से जुड़े सहयोगी दलों का साथ होना बेहद जरूरी है । पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा किये गए इस मंथन के बाद से सहयोगी दलों के प्रति बीजेपी के रवैये में बदलाव दिखने लगा है। अपने प्रमुख सहयोगी शिवसेना को लगातार साइड करने वाली भाजपा हर मुद्दे पर शिवसेना का विरोध करती रही है लेकिन आरआरएस के दख़ल के बाद शिवसेना नेताओं के किसी भी आलोचनात्मक बयान का जवाब देने से भाजपा के नेता कतराने लगे है और नाराज शिवसेना को मनाने के लिए हाल ही में शिवसेना की शर्तों के अनुसार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महामंडलों की घोषणा कर दी इससे ये प्रतीत होता है कि शिवसेना के प्रति भाजपा का रवैया बदल रहा है। गौरतलब है कि पिछले दिनों नागपुर में संघ प्रमुख भागवत से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और बाद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुलाकात की थी, जिसे लेकर राजनीतिक हलकों में खूब चर्चा है। वहीं सूत्रों का कहना है कि शिवसेना के शर्तोनुसार जल्द ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते है