कोरोना खत्म करने के लिए काशी में शव साधना

 15 Nov 2020  1983

संवाददाता/in24 न्यूज़.  
कोरोना के कहर को देखते हुए काशी में शव साधना की गई ताकि यह महामारी खत्म हो सके. इसी सिलिसले में काशी के अघोरियों ने श्मशान घाट में कोरोना वायरस को भगाने के लिए शव साधना की। दिवाली की रात तंत्र साधक कोरोना से दुनिया को निजात दिलाने के लिए विशेष तरह की पूजा करते नजर आए। जो वाकई हैरान करने वाली है। दिवाली की शाम जहां आम लोग कोरोना वायरस से बेफिक्र होकर दिवाली की खुशियां मना रहे थे, वहीं अघोरी कहे जाने वाले ये तंत्र साधक अपने तरीके से समाज के कल्याण के लिए पूजा अर्चना करते पाये गए। हालांकि इनकी तंत्र साधना के दौरान बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप की मनाही होती है। खासकर वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच साधकों ने कोरोना वायरस से निजात दिलाने के लिए धूनी रमाई। माना जाता है कि दिवाली की रात अघोरियों की तंत्र साधना और शव साधना काफी प्रभावी होती है। इस दिन ये अपने अराध्य को खुश करने में सफल होते हैं। अघोरी साधक खास तौर पर मां काली, बाबा भैरव नाथ और बाबा मशान नाथ की उपासना करते हैं। वाराणसी में बाबा मशान नाथ का मंदिर है, साधना की प्रक्रिया यहीं से शुरू होती है। इसके बाद श्मसान में शव की जलती धूनी तक प्रक्रिया जारी रहती है। अघोरी या फिर तंत्र साधकों का दावा है कि दिवाली के दिन महानिशा काल में ये अगर अपने अराध्य को खुश कर लेते हैं तो इन्हें चमत्कारी सिद्धियां हासिल होती है। तंत्र साधना में ये कई तरह की तामसिक क्रियाएं करते हैं। जिसके लिए शराब, शवों के मांस और नरमुंड का भी इस्तेमाल किया जाता है। जलती चिताओं के बीच बैठकर ये बलि भी देते हैं। वाराणसी के कई तांत्रिक साधुओं ने दावा किया कि इस बार दिवाली की रात कोरोना से मुक्ति के लिए तंत्र साधना की गई है। बता दें कि कोरोना का संकट अभी खत्म नहीं हुआ है.