डेल्टा से 70 गुना ज्यादा तेजी से संक्रमित करता है ओमीक्रोन

 16 Dec 2021  886

संवाददाता/in24 न्यूज़.
कोरोना महामारी के बाद में दुनिया में ओमिक्रॉन तेजी से पांव पसार रहा है। इस बीच एक रिसर्च सामने आई है जिसने ओमिक्रॉन का खौफ बढ़ा दिया है। हांगकांकग यूनिवर्सिटी की एक स्टडी सामने आई है, यह स्टडी थोड़ा सा डराती है और थोड़ी राहत भी देती है। इस स्टडी के अनुसार ओमीक्रोन एक व्यक्ति से दूसरे में तेजी से फैलता है, लेकिन यह फेफड़ों को उतना नुकसान नहीं पहुंचाता जितना डेल्टा वेरिएंट या अन्य कोरोना वेरिएंट पहुंचाते हैं। ओमीक्रोन को लेकर अब भी और स्टडी की जरूरत है। विशेषज्ञ के अनुसार इससे गंभीर रूप से बीमार पड़ने या मौत होने की आशंका कम है। हालांकि, ब्रिटेन में इससे पहली मौत हो चुकी है और जानकारों का मानना है कि गर्मियों तक इस वेरिएंट के कारण ब्रिटेन में 75 हजार तक मौतें हो सकती हैं। एक बार फिर हांगकांग की रिसर्च पर बात करें तो दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टरों से मिले डेटा के आधार पर इस रिसर्च में इस नतीजे पर पहुंचा गया है कि इससे लोग बहुंत गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ रहे हैं। हालांकि स्टडी में यह जरूर कहा गया है कि ओमीक्रोन वेरिएंट अपने मूल वायरस वेरिएंट या डेल्टा के मुकाबले 70 गुना तक तेजी से संक्रमण फैला सकता है। स्टडी के मुताबिक़ किसी व्यक्ति के संक्रमित होने के सिर्फ 24 घंटे बाद ही ओमीक्रोन श्वसन तंत्र में बहुत तेजी से फैलने लगता है। हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पिछले वेरिएंटों के मुकाबले फेफड़ों के उत्तकों में 10 गुना तक कम फैलता है। इसी बात को आधार बनाकर कहा जा रहा है कि यह कम गंभीर है। स्टडी में बताया गया है कि यह एक व्यक्ति से दूसरे में तेजी से फैलता है, लेकिन फेफड़ों के उत्तकों को उस तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता, जिस तरह से डेल्टा वेरिएंट पहुंचाता है।  हालांकि, स्टडी के प्रमुख लेखक चान ने एक डराने वाली बात यह भी कही कि बहुत से लोगों को संक्रमित करने के बाद यह अधिक गंभीर और मौत का कारण भी बन सकता है। बड़ी बात यह है कि ओमीक्रोन वेरिएंट पिछले इंफेक्शन या वैक्सीनेशन से मिली इम्युनिटी को भी गच्चा दे जाता है और पूरी तरह से वैक्सीनेटिड लोग भी इसकी चपेट में आ जाते हैं। ओमीक्रोन वेरिएंट से संक्रमित रोगियों का इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि अब तक ज्यादातर मरीजों में इसके हल्के लक्षण ही पाए गए हैं और ज्यादातर को तो अस्पताल में भर्ती करने की भी जरूरत नहीं है। यानी इससे संभलकर रहा जाए तो अनेक परेशानियों से बचा जा सकता है।