कोरोना पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट को भारत सरकार ने किया खारिज

 06 May 2022  384

संवाददाता/in24 न्यूज़. 

वैश्विक महामारी कोरोना की रिपोर्ट पर विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार के बीच का मतभेद खुलकर सामने आ गया है। भारत में कोरोना की वजह से हुई मौतों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जो रिपोर्ट दी है उसे केन्द्र सरकार ने खारिज कर दिया है। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में भारत में कोरोना महामारी की वजह से करीब 47 लाख लोगों की मौत का अनुमान लगाया है। गुरुवार को जारी हुई इस रिपोर्ट में कहा गया कि जनवरी 2020 से लेकर दिसंबर 2021 के बीच करीब 47 लाख लोगों की मौत हो गई, जबकि आधिकारिक तौर पर दिए गए आंकड़ों से करीब 10 गुना ज्यादा है।  वहीं डब्लूएचओ की इस रिपोर्ट पर देश के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने डब्ल्यूएचओ की तरफ से कोरोना या इसके प्रभाव की वजह से भारत में 47 लाख लोगों की मौत का अनुमान लगाने के लिए प्रयुक्त ‘मॉडलिंग’ पद्धति पर सवाल खड़े किए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वे वैश्विक स्वास्थ्य निकाय द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण से निराश हैं जो ‘सबके लिए एक ही नीति अपनाने’ के समान है। वहीं भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक बलराम भार्गव और नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल और एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया सहित कई विशेषज्ञों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। वीके पॉल का कहना है कि भारत वैश्विक निकाय को पूरी विनम्रता से और राजनयिक चैनलों के जरिए, आंकड़ों और तर्कसंगत दलीलों के साथ स्पष्ट रूप से कहता रहा है कि वह अपने देश के लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली से सहमत नहीं है।रणदीप गुलेरिया ने भी रिपोर्ट पर आपत्ति जताई और कहा कि भारत में जन्म और मृत्यु पंजीकरण की बहुत मजबूत प्रणाली है और वे आंकड़े उपलब्ध हैं, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने उन आंकड़ों का उपयोग ही नहीं किया है। वहीं नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि जब सभी कारणों से अधिक मौतों की वास्तविक संख्या उपलब्ध है तो सिर्फ मॉडलिंग आधारित अनुमानों का उपयोग करने का कोई औचित्य नहीं है। वहीं वीके पॉल ने कहा कि दुर्भाग्य से हमारे लगातार लिखने, मंत्री स्तर पर संवाद के बावजूद, उन्होंने मॉडलिंग और धारणाओं पर आधारित संख्याओं का उपयोग चुना है। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश के लिए इस तरह की धारणाओं का इस्तेमाल किया जाना और खराब तरीके से पेश करना वांछनीय नहीं है। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के साथ जबतक सारे मतभेद खत्म नहीं हो जाते तबतक यही स्थिति रहनेवाली है।