मुंबई में खसरे का बढ़ता प्रकोप
24 Nov 2022
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संजय मिश्रा/in24न्यूज़/मुंबई
देश की आर्थिक राजधानी और उससे सटे आसपास के इलाकों में इन दिनों खसरे का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. बुधवार तक शहर में कुल 233 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 200 से अधिक मामले पिछले 2 महीनों में दर्ज किए गए थे. वही बात करें अक्टूबर महीने की तो, इस महीने में खसरा से 3 लोगों की मौत हुई है. वैसे यह आंकड़े पिछले कुछ सालों की तुलना में काफी ज्यादा है. साल 2021 में मुंबई में खसरा के 10 मामले - एक मौत, साल 2020 में खसरा के 29 मामले, वहीं साल 2019 में खसरा से पीड़ित होने वाले मरीजों की संख्या 37 थी, जबकि 3 लोगों की मौत हो गई थी. मुंबई के आसपास के क्षेत्रों की बात की जाए तो, 17 नवंबर 2022 तक महाराष्ट्र के मालेगांव में 51 खसरा के मामले, भिवंडी में 37, ठाणे में 28, नासिक में 17, यवतमाल में 10, अकोला में 11 और ठाणे ग्रामीण में 15 मामले दर्ज किए गए. इसके अलावा ठाणे जिले के अंतर्गत आने वाले कल्याण -डोंबिवली और पालघर जिले के अंतर्गत आने वाले वसई-विरार में 9 मामले दर्ज किए गए. बता दें कि खसरा के अब तक जितने भी मामले सामने आ चुके हैं जो पिछले साल की तुलना में 6 गुना ज्यादा है साल 2020 में महाराष्ट्र में खसरा के 92 मामले सामने आए थे और दो लोगों की मौत हो गई थी. वही महाराष्ट्र में साल 2020 में 193 मामले खसरा से जुड़े सामने आए थे, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई थी और साल 2019 में 153 मामले व तीन मौतें खसरा से हुई थी. कुल मिलाकर साल दर साल खसरा के जितने भी मामले सामने आ रहे हैं, उसका पैमाना बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में समय रहते खसरा से निपटने के लिए सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो स्थिति भयावह हो सकती है. मुंबई के सात इलाके खसरा को लेकर हॉटस्पॉट के रूप में उभरे हैं, जिनमें धारावी, गोवंडी, कुर्ला, माहिम, बांद्रा और मटुंगा जैसे इलाके शामिल है. मुंबई में खसरा से अब तक 9 मौतें हुई है. इसके अलावा एक मौत नालासोपारा में, जबकि तीन मौत भिवंडी में हुई है. सरकारी महकमे से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक, खसरा से हुई मौतों में 11 साल की कम आयु वाले बच्चों की संख्या तीन है, जबकि 1 से 2 साल के बीच के 8 बच्चों की खसरा से मौत हुई है. प्रशासन ने कोविड के कारण टीकाकरण में गैप को खसरा के बढ़ते मामलों के पीछे जिम्मेदार बताया. वहीं राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के मुताबिक खसरे के टीके की दो खुराक 9 और 15 महीने की उम्र में दी जानी चाहिए. फिलहाल स्थानीय प्रशासन बच्चों पर नजर बनाए हुए हैं, जिनकी प्राथमिकता समय रहते शिविर का आयोजन कर टीकाकरण की प्रक्रिया को पूर्ण करना है.