अखंड सुहाग के लिए महिलाओं का हरियाली तीज
24 Aug 2017
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ज्योति विश्वकर्मा / in24न्यूज़
मेरा मन झूम झूम नाचे ,
गाए तीज के हरियाली गीत ,
आज पिया संग झूलेंगे ,
संग में मनाएंगे हरियाली तीज।
हाथो में महेंदी ,कलाइयों में चुडियाँ , मांग में सिंदूर ,लाल साड़ीयाँ ,चेहरे पे मुस्कान यही है एक सुहागन की पहचान। आज देश भर में सुहागन इसी वेशभूषा में नजर आएँगी क्योंकि आज है, हरियाली तीज। सुहागिनों का सबसे उत्तम व्रत है हरियाली तीज। उत्तर भारत में इस दिन को महिलाए खूब धूमधाम से मनाती है। आज के दिन केवल शादीशुदा औरतें अपने पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत नहीं रखती हैं, बल्कि कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर और रिश्ते में प्रेम बढ़ाने के लिए ये व्रत रखती हैं। यह भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन इसे मनाया जाता है, इसलिए इस तीज के नाम से जाना जाता है ।
इस दिन गौरी-शंकर की पूजा की जाती है, विशेषकर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में मनाया जाने वाला यह त्योहार करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है क्योंकि जहां करवाचौथ में चांद देखने के बाद व्रत तोड़ दिया जाता है,वहीं इस व्रत में पूरे दिन निर्जल व्रत किया जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत तोड़ा जाता है। इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं। इस पर्व पर पूरे दिन निर्जला व्रत कर शिव-पार्वती की पूजा की जाती है और व्रत की कथा सुनकर पति की लंबी उम्र की कामना की जाती है। पंडितों के मुताबिक इस बार की तीज विशेष है क्योंकि इसमें एक अद्भुत संयोग बन रहा है, जिसमें भगवान शंकर और माता पार्वती का पूजन श्रेष्ठ फलदायी है।
सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर के लिए रखा था। इस दिन विशेष रूप से गौरी−शंकर का ही पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं। पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है। हरियाली तीज भारतीय शादी की परंपरा में पत्नी के महत्त्व को दर्शाता है। आज चाहे इस त्यौहार में कितना भी आधुनिक रंग मिल गया हो इस पर्व की निष्ठा और इसे करनेवालों की भक्ति में कोई कमी नहीं आई है।