ब्यूरो रिपोर्ट / in24 न्यूज़
डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है लेकिन वही डॉक्टर अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में यदि आपस में भिड़ जाएं और उससे किसी मासूम की जान चली जाये तो उसे आप क्या कहेंगे ? जी हां मामला है राजस्थान के जोधपुर का जहां के उम्मेद अस्पताल में एक गर्भवती महिला की प्रसूति ऑपरेशन के द्वारा की जा रही थी कि इसी बीच दो डॉक्टर आपस में भिड़ गए। मामला इस कदर बढ़ा कि दोनों डॉक्टरों ने आपा खो दिया जिसका नतीजा ये हुआ कि जिस महिला की प्रसूति होनी थी उसमे देरी हो गयी और उसकी नवजात बच्ची ने दम तोड़ दिया।
एक हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर (OT) में 2 डॉक्टरों का आपस में भिड़ना यह अब गंभीर चिंता का विषय बन गया है। दोनों डॉक्टरों का स्वाभिमान आपस में ऐसा टकराया कि इस दौरान प्रेग्नेंट लेडी की सिजेरियन डिलिवरी में देरी हुई। लिहाजा पैदा हुई नवजात बच्ची ने धड़कन (हार्ट बीट) धीमी होने की वजह से दम तोड़ दिया। इस घटना का वीडियो वायरल हुआ है। हाईकोर्ट ने मामले पर संज्ञान लेते हुए हॉस्पिटल से रिपोर्ट तलब की है। घटना के मुताबिक, रातानाडा की रहने वाली अनीता मंगलवार सुबह डिलीवरी के लिए उम्मेद हॉस्पिटल आईं।
उन्हें पहले लेबर रूम ले जाया गया, जहां डॉ. इंद्रा भाटी ने उन्हें चेक किया तो पेट में बच्चे की धड़कन धीमी पाई। इस पर अनीता को तुरंत सिजेरियन डिलिवरी के लिए ऑपरेशन थिएटर (OT) में भेजा गया। गर्भवती और बच्चे की जान बचाने के लिए तुरंत ऑपरेशन करना जरूरी था। ऑपरेशन थिएटर में एक टेबल पर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. अशोक नैनीवाल एक दूसरी महिला का ऑपरेशन कर रहे थे। अनीता को दूसरी टेबल पर लाया गया। यहां एनेस्थिसिस्ट और ओटी इंचार्ज डॉ. एमएल टाक बच्चे की धड़कन जांचने के लिए दूसरे डॉक्टर से कह रहे थे। इसी दौरान डॉ. अशोक भड़क गए और डॉ. टाक पर जोर-जोर से चिल्लाने लगे। इस पर डॉ. टाक भी अनीता को छोड़कर डॉ. अशोक के सामने आ गए।
दोनों के बीच तू-तू-मैं-मैं शुरू हो गई। वहां मौजूद नर्सिंग स्टाफ ने दोनों डॉक्टर्स को समझाने की बहुत कोशिश की, पर वे नहीं रुके। बाद में अनिता के सिजेरियन से हुई नवजात बच्ची ने कुछ ही देर में दम तोड़ दिया। हॉस्पिटल के प्रिंसिपल एएल भट्ट के मुताबिक, दोनों डॉक्टरों को हटा दिया गया है और उनपर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। ऑपरेशन थिएटर में ही किसी स्टाफ मेंबर ने मोबाइल से घटना का वीडियो भी बना लिया। इस वीडियो के वायरल होते ही अफरातफरी मच गई। मामला सामने आया तो राज्य सरकार के आदेश पर डॉ. अशोक नैनीवाल को एपीओ कर दिया गया, जबकि डाॅ. टाक पर एक्शन के लिए कार्मिक विभाग (personnel department) में फाइल भेजी गई है।
अनीता की ननद सुनीता ने कहा कि ऑपरेशन के बाद बच्चा मरा हुआ ही पैदा हुआ। हमें डॉक्टर्स ने बताया कि जच्चा द्वारा कचरे वाले पानी को पीने से ये कचरा बच्चे के अंदर पहुंच गया, इसी कारण से बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ। उम्मेद हॉस्पिटल के एनेस्थेटिक और ओटी इंचार्ज डॉ. एमएल टाक ने कहा, "मैं रेजिडेंट डॉक्टर से प्रेग्नेंट लेडी के बारे में बात कर रहा था। इसी दौरान दूसरी टेबल पर काम कर रहे डॉ. अशोक नैनीवाल अपना काम छोड़कर मुझसे बिना बात के झगड़ने लगे। डॉ. अशोक जोर-जोर से चिल्लाने लगे और ओटी में रखे इक्विपमेंट लेकर मुझे मारने के लिए आए। जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें जिस महिला के लिए वह झगड़ा कर रहे थे, उसे दिखाया ही नहीं गया है।" वहीं, डॉ. अशोक नैनीवाल का कहना है कि इस पूरे केस पर मैं अपने सीनियर को ही जवाब दूंगा। इसके अलावा मैं और कुछ नहीं कहूंगा।
इस घटना ने शहर के डॉक्टर्स को चौंका दिया है। महात्मा गांधी हॉस्पिटल के डीन डॉ. पीसी व्यास बोले, "35 साल के करियर में मैंने ऐसी घटना ना देखी, ना सुनी। इससे मेडिकल प्रोफेशन के सम्मान को धक्का पहुंचा है। हमारे प्रोफेशन में हर हाल में सीनियर को इज्जत ही दी जाती है। भले ही अस्पताल प्रबंधन ने ऑपरेशन थियेटर में विवाद खड़ा करने वाले डॉक्टरों पर कार्रवाई कर उन्हें निलंबित कर दिया लेकिन जिस मासूम की जान गयी उसे वापस नहीं लाया जा सकता इसके साथ ही दो डॉक्टरों का अमर्यादित भाषा में बात करना, ये इस बात की ओर भी इशारा करता है कि अब मरीजों की रक्षा डॉक्टरों के नहीं बल्कि भगवान भरोसे है ऐसे में यदि समय रहते सरकार ने इसमें हस्तक्षेप नहीं किया तो आने वाले समय में लोगों का विश्वास भी डॉक्टरों पर से उठना लाजमी है।