ईडी के राडार पर 5800 कंपनियां, जल्द कार्रवाई संभव !
06 Oct 2017
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ब्यूरो रिपोर्ट / in24 न्यूज़
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग और कालेधन को सफेद करने की गतिविधियों में शामिल लोगों पर शिकंजा कसना जारी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मोहम्मद अयूब मीर को 'कारण बताओ नोटिस' जारी किया है। मीर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य है। फेमा (फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट ऐक्ट) के तहत दिल्ली के दो हवाला कारोबारियों बेच राज बेंगानी और हरबंस सिंह को भी नोटिस भेजा गया है। नोटबंदी के दौरान काले धन को सफेद करने में संलिप्त बैंक अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की बात सामने आ रही है। प्रवर्तन निदेशालय ने एक्सिस बैंक के कर्मचारी नितिन गुप्ता समेत अन्य बैंक अधिकारीयों की तक़रीबन 8.47 करोड़ कीमत की संपत्ति जब्त कर ली है।
आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मोहम्मद अली मीर को नई दिल्ली से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने मीर को हरबंस सिंह से हवाला के 7 लाख रुपए लेते हुए पकड़ा था। इस सूचना के आधार पर ईडी ने फेमा के तहत जांच शुरू कर दी थी। जांच के दौरान मीर ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ जुड़े होने की बात कबूली। वह आतंकी संगठनों के लिए हवाला के जरिए धनराशि इकठ्ठा कर रहा था। हरबंस सिंह ने भी पूछताछ में बताया कि वह बेच राज बेंगानी के निर्देश पर हवाला भुगतान करता था। बेच राज बेंगानी हवाला कारोबार में लंबे समय से है। फेरा 1973 के तहत बेच राज के खिलाफ 50 लाख का जुर्माना भी लगाया जा चुका है।
अयूब मीर और हरबंस सिंह को दिल्ली के एडीशनल सेशन जज ने पोटा के सेक्शन 3(5) और 22(3) के तहत दोषी करार दिया था। वहीं, 13 बैंकों ने कुछ संदिग्ध लेन-देन की जानकारी केंद्र सरकार को दी है। फर्जी कंपनियों के जरिए कालेधन को सफेद बनाने की कोशिश होती थी, जिसके बाद 2 लाख से ज्यादा कंपनियों पर रोक लगा दी गई है. बैंकों की ओर से 5800 फर्जी कंपनियों की लेन-देन की डिटेल्स जारी की गई हैं। ये कंपनियां मनी लॉन्ड्रिंग और कालेधन को सफेद करने की गतिविधियों में शामिल थी। ईडी के खुलासे में पता लगा है कि कई कंपनियों के 100-100 खाते थे। कुल 2,09,032 कंपनियों पर संदिग्ध गतिविधि की जानकारी के बाद रोक लगा दी गई है। इनमें से एक कंपनी के लगभग 2134 खाते थे। नोटबंदी के बाद इन फर्जी कंपनियों ने करीब 4573.87 करोड़ रुपए की लेन-देन की थी।
गौरतलब है कि मोदी सरकार शेल कंपनियों पर लगातार शिकंजा कस रही है। इससे पहले सरकार ने कहा था कि वह शेल कंपनियों से संबंध रखने वाले 4.5 लाख डायरेक्टर्स को अयोग्य करार दे सकती है। केंद्रीय मंत्री पीपी चौधरी ने कहा है कि कालेधन के खिलाफ सरकार की लड़ाई जारी रहेगी। कॉरपोरेट मामलों के मंत्री पीपी चौधरी ने कहा कि वैध कंपनियों को इस प्रक्रिया से कोई परेशानी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जो कंपनियां नियमों के विरुद्ध काम कर रही हैं, उनकी वजह से ही अन्य कंपनियों को परेशानी पेश आ रही है। चौधरी ने एक इंटरव्यू में कहा कि सभी अयोग्य करार दिए गए डायरेक्टर्स की प्रोफाइल की जांच की जाएगी। केंद्र सरकार इससे पहले सितंबर महीने में 2.17 लाख से भी ज्यादा कंपनियों के नाम रिकॉर्ड से हटा चुकी है। यह वे कंपनियां थीं, जो पिछले काफी समय से कारोबार नहीं कर रही थीं। वहीं दूसरी ओर सरकार को ऐसी ही लगभग 5,800 कंपनियों के ट्रांजेक्शन की जानकारी मिल गयी है, जिन्होंने कालेधन को सफेद करने का काम बड़े पैमाने पर किया।
शुक्रवार को जारी बयान में सरकार की ओर से यह कहा गया कि इस साल की शुरुवात में लगभग 2,09,032 संदिग्ध कंपनियों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है। इनमे से कुछ कंपनियों के बैंक खातों के नोटबंदी के बाद परिचालन के बारे में 13 बैंकों ने बड़ी सूचनाएं दी हैं। पिछले महीने सरकार ने दो लाख से अधिक कंपनियों के बैंक खतों के परिचालन पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही कालेधन और मुखौटा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई में इसे बड़ी सफलता बताते हुए कहा कि पहली खेप में दो लाख से अधिक कंपनियों में से लगभग 5,800 कंपनियों के 13,140 बैंक खातों के बारे में जानकारी मिली है। बहरहाल नोटबंदी के बाद कई तरह की बातें सामने आ रही थी कि अब केंद्र सरकार का अगला कदम क्या होगा जिसके बाद अब स्थिति लगभग स्पष्ट हो रही है कि जिन फर्जी कंपनियों ने नोटबंदी की आड़ में कालेधन को सफ़ेद करने का काम किया अब वे कंपनियां केंद्र सरकार की राडार पर हैं जिनपर कार्रवाई की बात सामने आने से हड़कंप मच गया है।
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