जर्जर इमारतों के लिए मुंबई महानगर पालिका की नई नीति 

 18 Nov 2017  1681
ब्यूरो रिपोर्ट / in24 न्यूज़

बीएमसी ने पुरानी और जर्जर इमारतों के लिए पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की एक नई नीति बनाई है, जिससे इमारतों में रहने वाले मालिकों और बिल्डरों के मनवाने के रवैये से निवासियों को काफी हद तक राहत मिलेगी। आपको बता दें कि नई नीति को जल्द ही बीएमसी की वेबसाइट पर जनता से सुझाव के लिए उपलब्ध कराई जाएगी। अब अति जर्जर इमारतों की जांच से लेकर उन्हें खाली करने और निवासियों को उनका हक दिलाने के लिए इस नीति के अनुसार काम किया जाएगा।

तकनीकी उपयोग होने से अब सारी प्रक्रिया पारदर्शी होने की उम्मीद जताई जा रही है और साथ ही विवादों का हल करने के लिए तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी) के सदस्यों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। मालिक द्वारा स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने के बाद उसकी रिपोर्ट बीएमसी के पास जमा की जाती है। अक्सर खाली करने का नोटिस मिलने तक इमारत में रहने वालों को इस बारे में पता ही नहीं चलता लेकिन अब बीएमसी के पास रिपोर्ट आते ही उसे निवासियों के साथ साझा कर दिया जाएगा।

अगर किसी को कोई आपत्ति होगी, तो वह अपनी ओर से भी प्रक्रिया शुरू कर सकेगा। बीएमसी आयुक्त अजय मेहता ने कहा, 'हम रहिवासियों के हितों की रक्षा और पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी करने के लिए यह नीति लाए हैं। हमें उम्मीद है कि इससे इस मामले में होने वाले विवाद खत्म हो जाएंगे। आपको बता दें कि, अब स्ट्रक्चरल ऑडिट में इमारत जर्जर घोषित होने के बाद जब भी उसका पुनर्विकास होगा, तब उसके निवासियों को उनके वास्तविक एरिया के अनुसार घर दिया जाएगा।

बिल्डर द्वारा निवासियों से सहमति बनाए बिना बीएमसी इमारत के पुनर्विकास की अनुमति ही नहीं देगी। यह बदलाव कुछ महीनों पहले ही कर दिया गया था, लेकिन निवासियों के हितों की रक्षा के लिए अब इसे नीति का हिस्सा बना दिया गया है।