डिजिटल युग में जीना आसान- पीएम मोदी @WEF
23 Jan 2018
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सौम्य सिंह/in24 न्यूज़
वर्ल्ड इकनोमिक फोरम में पीएम मोदी ने संबोधन करते हुए कहा कि दावोस में भारत की शुरुआत 1997 में हुई थी जब तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा दावोस पहुंचे थे। तब से लेकर अब तक भारत की जीडीपी 6 गुना हो चुकी है और उस वक्त इस मंच का स्लोगन था 'बिल्डिंग दि नेटवर्क सोसाइटी'।
आज हम सिर्फ नेटवर्क सोसाइटी ही नहीं बल्कि बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1997 में बहुत कम लोगों ने ओसामा बिन लादेन का नाम सुना था और कंप्यूटर से हारने का डर शतरंज के खिलाड़ियों में नहीं था। उस वक्त इंटरनेट पर आपको जंगल और नदियों के बारें में जानकारी मिलती थी।
आज दो दशकों के बाद हमारा समाज एक जटिल नेटवर्क से बंधा है, उस वक्त भी दावोस अपने समय से आगे था और आज भी वह आगे है और इस वर्ष क्रिएटिंग ए शेयर्ड वर्ल्ड इसका थीम है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के प्लेनरी सेशन में कीनोट एड्रेस के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंच पर पहुंच कर सेशन की शुरुआत करते हुए स्विटजरलैंड के राष्ट्रपति अलेन बर्सेट ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी बदलाव के दौर से गुजर रही है।
हालांकि राष्ट्रपति बर्सेट ने कहा कि विकास की दौड़ में हमें अंधकार को गले नहीं लगाना है। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि विकास का फायदा सोशल इंक्लूजन के जरिए समाज में सभी वर्गों तक पहुंचे। मौजूदा समय में डेटा के बड़े पहाड़ तैयार हैं और उनके नियंत्रण की कोशिशें की जा रही है। यह माना जा रहा है कि जिसके पास डेटा का अधिकार होगा वहीं दुनिया के शीर्ष पर काबिज होगा।
विज्ञान, तकनीक और आर्थिक तरक्की के नए आयामों में समाज को आगे बढ़ाने का दम है लेकिन इसने मानवता को बांटने का काम भी किया है। गरीबी, बरोजगारी और प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण की समस्या से पूरी दुनिया जूझ रही है और अब हमें यह सोचना है कि क्या हमारी अर्थव्यवस्था समाज में दरारों को तरजीह तो नहीं दे रही है ? हजारों साल पहले संस्कृत में लिखे ग्रंथों में भारतीय चिंतकों ने लिखा है कि वसुधैव कुटुंबकम यानी पूरी दुनिया एक परिवार है, लिहाजा हम सब एक ही परिवार की तरह बंधे हुए हैं।