क्या भारत कभी बनेगा कैशलेस सोसाइटी ? 

 01 Mar 2018  1177
  सौम्य सिंह/in24 न्यूज़  देश में नोटबंदी को हुए काफी समय हो चुका है क्योंकि भारत को कैशलेस सोसाइटी बनाने की ओर नोटबंदी एक बड़ा कदम माना जाता रहा, लेकिन कैशलेस सोसाइटी की सरकार की कवायद झूठी साबित होती दिखाई दे रही है। केन्द्रीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय में करेंसी का सर्कुलेशन नोटबंदी से पहले के स्तर का 99.17 फीसदी हो चुका है। आरबीआई के मुताबिक 23 फरवरी 2018 तक अर्थव्यवस्था में संचालित कुल करेंसी 17.82 लाख करोड़ रुपये है. वहीं नोटबंदी से ठीक पहले 4 नवंबर 2017 तक कुल करेंसी सर्कुलेशन 17.97 लाख करोड़ रुपये था। पीएम मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया था जहां 500 और 1000 रूपये के नोटों का चलन बंद कर दिया था और लगभग 8 लाख करोड़ रुपये की कुल मुद्रा को वापस ले लिया था।  इसकी जगह रिजर्व बैंक ने पहले 2000 रुपये और फिर 500 रुपये की नई करेंसी चलन में आई।  नोटबंदी का यह फैसला केन्द्र सरकार ने देश में कालेधन पर लगाम लगाने, नकली करेंसी पर नकेल कसने और देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए उठाया था। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद नवंबर 2016 से देश में पेमेंट करने के लिए डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल में बड़ा इजाफा देखने को मिला था।  जिसके बाद देश के सभी बैंकों ने डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल के लिए बड़ी तैयारी की। लेकिन आरबीआई के जनवरी 2018 के बाद के आंकड़ों में देखा गया कि देश में करेंसी ट्रांजैक्शन बढ़कर 89,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जबकि डिजिटल माध्यमों से पेमेंट का आंकड़ा तेजी से गिर गया।