अब मुंबई के समुद्र किनारे बनेगी ऊंची इमारतें, सरकार ने किया नियमों में बदलाव
10 Apr 2023
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ब्यूरो रिपोर्ट/in24न्यूज़/मुंबई
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में यदि आप समुद्र किनारे घर लेने की सोच रहें है तो यह खबर आपके लिए है. दरअसल अभी तक समुद्र से मर्यादित अंतराल पर ऊंची इमारतों का निर्माण किया जाता था, लेकिन अब केंद्र सरकार ने नियमों में ढिलाई देते हुए समुद्र किनारे गगनचुंबी इमारत बनाने का रास्ता साफ कर दिया है. जानकारों का कहना है कि समंदर किनारे पूरे मुंबई के कोस्टल एरिया में करीब 85,000 बिल्डिंग मौजूद है. इन नियमों के चलते उनका रखरखाव तो आसान होगा ही, साथ में रीडेवलपमेंट के कइयों प्रोजेक्ट्स को भी गति मिलेगी. मायानगरी मुंबई को सपनों का शहर भी कहा जाता है, जब भी मुंबई का नाम सामने आता है, तो चीजें प्रमुखता से हमारी नजरों के सामने आने लगती है जिसमे से एक है बॉलीवुड तो दूसरा है समुद्र ! जी हां, मुंबई शहर तीन तरफ से समुद्री किनारों से घिरा हुआ है इसलिए समुद्री छोर से लगभग 500 मीटर की दूरी तक किसी भी तरह की ऊंची इमारत के निर्माण पर पूरी तरह से प्रतिबंध था. लेकिन अब केंद्र सरकार ने सीआरजेड के नियमों में बदलाव किया है जिससे बहुत जल्द ही मुंबई में समुद्र के किनारे बड़ी-बड़ी इमारतें देखने को मिल सकती है. बता दें कि साल 2019 में केंद्र सरकार ने सिफारिशों को मंजूर करते हुए समुद्र किनारे बने वाले निर्माणों पर ढील दे दी थी. इसके चलते अब पहले की एफएसआई (FSI) यानी कि फ्लोर स्पेस इंडेक्स जो 1 थी को अलग अलग स्कीम के हिसाब से 2.2 से 4 तक कर दिया गया है. जानकर मानते है कि इसके चलते समुद्र किनारे निर्माण कार्य बढ़ेगा और इसका सबसे ज्यादा फायदा विकासकों को मिलेगा. इसके अलावा कई सारे लंबित पड़े प्रोजेक्ट भी इस बदलाव के बाद पूरे हो जाएंगे. खबर यह भी है कि मुंबई के साल 2034 के डेवलपमेंट प्लान को आधार मानकर इन नियमों में बदलाव हुए हैं. वही दूसरी तरफ पर्यावरणविद इसका विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि जहां एक तरफ हाई टाइड की वजह से कोस्टल लाइन में रहने वालों के घर पानी भर जाने की समस्या से जूझ रहे है, तो वहीं दूसरी तरफ हम कोस्टल लाइन के अंदर निर्माण कार्य कर रहे हैं. इन नियमों में बदलाव भविष्य में हमारे लिए खतरनाक साबित होगा और इसके लिए इसका विरोध करना चाहिए. CRZ के नियमों में छूट कोविड काल से पहले केंद्र सरकार की तरफ से दे दी गई थी लेकिन उसका असर अब धीरे धीरे देखने को मिलने लगा है. आने वाले समय में इन नियमों के बदलाव के चलते मुंबई की सूरत जरूर बदली दिखाई देगी और इसका सबसे ज्यादा फायदा बिल्डरों को होगा. कुल मिलाकर सीआरजेड की समस्या उन बिल्डरों को नहीं आएगी, और समुद्र किनारे अब गगनचुंबी इमारतों का न सिर्फ निर्माण होगा बल्कि समुद्र किनारे ऊंची इमारतों में रहने का सपना अब लोगों का पूरा होगा.