सुप्रीम कोर्ट ने फैसला बदला, बैंकों को मिली राहत
20 Dec 2019
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
आज पूरे देश में पारदर्शिता की बात हो रही है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक पुराने फैसले को वापस लेकर सभी बैंकों को राहत देने का काम किया है. एक देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. जिसमें बैंकों की स्थितियों और उनके एनपीए का बड़ा रोल माना जा रहा है. ऐसे में अगर बैंकों की अहम और क्लासिफाइड जानकारियां सार्वजनिक होंगी तो बैंकों की क्रेडिबिलिटी पर भी गहरा असर पड़ेगा. जिसकी वजह से बैंकों की स्थिति और भी खराब होगी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने अपने 5 साल पुराने आदेश पर रोक लगाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक को अगले आदेश तक सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत भारतीय स्टेट बैंक सहित सभी बैंकों की निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट और बैंकों की वित्तीय निरीक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक करने से मना कर दिया है. देश के शीर्ष बैंकों ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय में एक आवेदन दिया था, जिसमें कहा गया था कि आरबीआई द्वारा इस तरह की जानकारी साझा करने पहले बैंकों को इसका विरोध करने का अवसर मिलना चाहिए. आपको बता दें कि शीर्ष अदालत 2015 में आरबीआई को अनिवार्य कर दिया था कि आरटीआई आवेदकों को इस तरह की जानकारी जारी करे या फिर अदालत की अवमानना का जोखिम उठाने के लिए तैयार रहे. आरबीआई में आरटीआई आवेदन तब से जमा हो रहे हैं, जब अदालत ने बैंकिंग नियामक को आरटीआई के तहत सभी सूचनाओं को प्रकट करने का फैसला सुनाया है. सिवाय उन लोगों के जिन्हें इस कानून द्वारा बाहर रखा गया है. इसके बाद बैंकों ने राहत पाने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया. केस के बारे में जानकारी रखने वाले एक वकील के अनुसार उधारदाता बैंकों में शामिल एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एसबीआई इस तरह की रिपोर्ट लीक होने से काफी घबरा गए हैं. रोजाना मीडिया में इन रिपोट्र्स के बारे में चर्चा हो रही है. जिसके बाद जस्टिस एस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना की खंडपीठ ने कहा कि निरीक्षण रिपोर्ट, जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, भारतीय स्टेट बैंक सहित बैंकों की वार्षिक वित्तीय निरीक्षण रिपोर्ट जारी नहीं की जाएगी. अंतरिम आदेश तब तक जारी रहेगा, जब तक अदालत मामले में शामिल मुद्दों की जांच नहीं करती. एसबीआई का प्रतिनिधित्व स्थाई वकील संजय कपूर और आरबीआई ने वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता द्वारा किया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी एसबीआई के लिए पेश हुए. बैंकों ने पहले 2015 के फैसले की समीक्षा के लिए एक याचिका दायर की थी. जो लंबित है और अभी तक स्थगित है. शीर्ष अदालत ने ने 16 दिसंबर, 2015 को फैसला सुनाया था कि आरबीआई को पारदर्शिता और जवाबदेही के हित में, आरटीआई के तहत मांगी गई सभी सूचनाओं को जारी करना होगा. यह आदेश जस्टिस एमवाई इकबाल और सी नागप्पन की पीठ ने पारित किया था. आरबीआई ने इस आधार पर चुनाव लड़ा था कि इस तरह की जानकारी देना विवाद को जन्म दे सकता था. अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया.