मोदी सरकार ने बढ़ाई गन्ना किसानों की आर्थिक मिठास
20 Aug 2020
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
अबतक गन्ना किसानों को मीठे गन्ने का प्रतिसाद कड़वा मिलता था, मगर अब मोदी सरकार ने बुधवार को शुगर सीजन 2020 के लिए गन्ने का उचित और पारिश्रमिक मूल्य 85 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. इसके तहत गन्ना किसानों की आर्थिक मिठास बढ़ाने का काम किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया. 2020-21 शुगर सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के लिए एफआरपी, जो गन्ना किसानों को चीनी मिलों द्वारा देय होगा, 275 रुपये प्रति क्विंटल की मौजूदा दर से 10 रुपये अधिक है. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि इस फैसले से एक करोड़ किसानों को फायदा होगा. बयान के अनुसार कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों पर एफआरपी तय किया गया है. जावड़ेकर ने कहा कि एक करोड़ गन्ना किसानों के लिए लाभकारी मूल्य बढ़ाकर 285 रु. प्रति क्विंटल निश्चित हुआ है. ये 10 फीसदी रिकवरी के आधार पर है. अगर रिकवरी 9.5 फीसदी या उससे भी कम रहती है तो भी गन्ना किसानों को संरक्षण देते हुए 270 रु. दाम मिलेगा. उन्होंने कहा कि इथेनॉल भी सरकार अच्छे दाम पर लेती है. सरकार ने पिछले साल 60 रु. प्रति लीटर के दाम पर 190 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदा था. राज्य की ऊर्जा क्षमता को राहत देने के लिए पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन और रुरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन इनको वर्किंग कैपिटल 25 फीसदी आधी लोन देने का जो अधिकार था वो इस साल वर्किंग कैपिटल लिमिट से ऊपर मिलेगा. सरकार ने अनुमान लगाया है कि चालू मार्केटिंग सत्र में गन्ने का कुल उत्पादन 280 से 290 लाख टन रह सकता है. गन्ने का चालू मार्केटिंग सत्र अगले महीने समाप्त हो रहा है. 2018-19 में देश ने 331 लाख टन गन्ने का उत्पादन किया था. महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की खेती में कमी आने से चालू सत्र में उत्पादन कम रहने का अनुमान है. केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि जबकि इस कोरोना संकट में हमारी सरकार ने गरीबों की जरूरत को महसूस करते हुए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत 8 करोड़ वैसे प्रवासी श्रमिकों एवं जरूरतमंदों के लिए दो महीने मुफ्त अनाज की व्यवस्था की है जिनके पास कोई राशनकार्ड नहीं है. बता दें कि सरकार का यह कदम गन्ना किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है.