स्वच्छ भारत अभियान पर अलग-अलग राय !

 12 Jan 2017  2100
ब्यूरो रिपोर्ट / in24 न्यूज़

जब मैं यह कहता हूं कि मोदी जी को देश के ग्रामीण भागों की समस्याओं की जानकारी नहीं है और वे बिना सोचे समझे फैसले लेते हैं तो मेरे कई मित्रों को बुरा लग जाता है। हो सकता है कि अपनी भक्ति के चलते वे मुझे बुरा भला कहते हों, लेकिन मैं भी उन निरीह भक्तों की आपत्तियों का बुरा नहीं मानता। मैं यहां पर एक और बिना सोचे समझे पीएम मोदी द्वारा लिए गए फैसले का जिक्र करना चाहता हूं। स्वच्छ भारत अभियान बहुत अच्छा है, इसका उद्देश्य भी सकारात्मक है। घर-घर में शौचालय बनना अच्छी बात है। लेकिन इसके साइड इफ़ेक्ट के बारे में क्या कभी सोचा गया ? शायद नहीं ! नोट बंदी के फैसले जैसी हड़बड़ी शौचालय बनवाने में भी की गई है। कोई तैयारी नहीं, बस शौचालय बनवाओ।

इस अभियान का सबसे बड़ा फायदा विज्ञापन कंपनियों को हुआ और देश का हजारो करोड़ रुपया शौचालय के नाम पर बर्बाद हो गया, या कहिये चहेतों के पास चला गया। छोटे शहरों में सीवरेज की क्या व्यवस्था है, सब को पता है लेकिन मुंबई जैसे बड़े महानगर में सीवरेज की जो अव्यवस्था है, उसे देश के बाकी हिस्सों के लोग कम जानते होंगे। बारिश के दिनों में सीवरेज और पानी की पाइप लाइन के मिलाप से लोगों के घरों में जो पानी जाता होगा उसकी कल्पना भी की जानी जरूरी है। इससे भी बुरे हालात छोटे शहरों का है। रही बात गांवों की, तो वहां अब तक कुएं और हैंड पंप से पानी की जरूरतें पूरी की जाती रही है, सब कुछ ठीक है फिलहाल। लेकिन घर-घर में शौचालय योजना के बाद स्थितियां तेजी से बदल रही हैं।

गांवों में सीवरेज सिस्टम जैसा कुछ नहीं है। लोगों ने साहब जी के कहने से और सरकारी अनुदान के लालच में शौचालय बनवा लिए हैं। इसके साथ ही लोगों ने काम चलाऊ सेफ्टी टैंक भी बनवाए हैं, जो काफी छोटे हैं और जल्दी भर जाएंगे। इसके बाद क्या होगा, पता नहीं। लेकिन सीवरेज सिस्टम के अभाव में सेफ्टी टैंक की गंदगी नीचे और आस पास फैलती जायेगी। फिर आस पास के कुओं और हैंड पंप के पानी तक वह गंदगी पीने के पानी को दूषित कर देगी। इसके बाद हैजा, कालरा, चेचक और पता नहीं क्या-क्या बीमारियां फैलेंगी जिनका इलाज करने के लिए पूरा सिस्टम फेल हो जाएगा। मेरा मानना है कि यहां भी जमीनी सच्चाई का अध्ययन किए बिना निर्णय लिया गया है, जो आज नहीं तो कल गलत साबित हो कर रहेगा। बेहतर तो यह होता कि घर-घर में शौचालय बनवाने के पहले गांव-गांव में सीवरेज सिस्टम बनाया जाता। हो सकता है उससे कुछ ज्यादा ही चुनावी फायदा मिलता।