कहां है बीएआरसी की साइंटिस्ट बबिता !

 26 Jan 2017  2924
गोपाल शाह / in24 न्यूज़
 
 मुंबई के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की एक महिला वैज्ञानिक बबिता सिंह के अचानक लापता हो जाने से कोहराम मच गया है। अपने भाई को किये गए ईमेल में बबिता ने बीएआरसी के अधिकारियों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। ईमेल में बबिता ने साफ़-साफ़ लिखा है कि रोज-रोज मरने से अच्छा है कि एक बार खुद को ख़त्म कर लो। आपको बता दें कि बीएआरसी में बतौर साइंटिस्ट बबिता सिंह का मोबाइल उनके हॉस्टल के कमरे में मिला। इसके साथ ही बीएआरसी में लगे सीसीटीवी कैमरे में बबिता आखिरी बार 23 जनवरी को देखी गयी । उसी दिन बबिता ने अपने भाई को ईमेल किया था, जिसके बाद इस गंभीर मामले का खुलासा हुआ। बबिता सिंह ने लापता होने से पहले अपने कमरे को बाहर से लॉक कर दिया था और उसकी चाभी उसने वॉर्डन को दे दी थी।
 
 
इस मामले में नवी मुंबई की नेरुल पुलिस ने बबिता सिंह की गुमशुदगी का मामला दर्ज किया है। बबिता उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में कुबेरस्थान के पास खन्हवार गांव की रहने वाली है। पिता विजय बहादुर सिंह किसान, जबकि उसका भाई दिव्यांग हैं। बबिता की पढाई में उसके परिवार वालों ने कोई कसर बाकि नहीं रखी। बबिता हाईस्कूल से लेकर मास्टर डिग्री तक हमेशा टॉपर रही। इसी मेहनत का नतीजा रहा कि बीएआरसी में उनका चयन किया गया।
 
 
बीएआरसी में बबिता सिंह लो लेवल रेडिएशन रिसर्च सेक्शन के रेडिएशन बायोलॉजी एंड हेल्थ साइंस डिवीजन में बतौर साइंटिस्ट अफसर कार्यरत थी। ईमेल की जानकारी मिलते ही बबिता सिंह के होने वाले पति ने उसका हाल-चाल लेने बीएआरसी का रुख किया लेकिन बबिता उन्हें वहां नहीं मिली जिसके बाद उन्होंने पुलिस स्टेशन पहुंच कर बबिता के गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाई
 
 
बबिता के ईमेल के अनुसार उसे बीएआरसी में हर मौके पर अपमानित किया जाता था। इसके साथ ही पांच सालों तक बीएआरसी में रही बबिता को बिना किसी साइंटिफिक डायरेक्शन और डिस्कशन के कई एक्सपेरिमेंट करने को कहा गया और उसके रिपोर्टिंग अफसर के पास इतना भी वक्त नहीं रहता कि वो यह देख पाए कि जो एक्सपेरिमेंट को पूरा करने का जिम्मा बबिता सिंह को सौंपा गया है उसकी इन्फॉर्मेशन भी बबिता को दी गयी है कि नहीं !
 
 
बहरहाल बबिता सिंह की गुमशुदगी ने बीएआरसी के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है ऐसे में क्या बबिता सही सलामत वापस आएगी इस पर सस्पेंस अब भी बरक़रार है।