लॉक डाउन का दंश ; आठ करोड़ कर्मचारी हुए बेरोजगार, भुखमरी की कगार पर कई परिवार

 17 Dec 2020  4758
ब्यूरो रिपोर्ट/in24 न्यूज़
 
     कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी ने जहां अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है तो वहीं दूसरी तरफ करोड़ों की संख्या में लोगों की नौकरियां चली गई. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट के मुताबिक कोरोनावायरस संकट के बीच एशिया प्रशांत क्षेत्र के तकरीबन आठ करोड़ 10 लाख कामगारों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी. इसमें सबसे ज्यादा युवाओं और महिला कर्मचारियों का समावेश है. कोरोनावायरस की उत्पत्ति चीन से होने की बात कहीं गई थी, जिसकी वजह से सबसे ज्यादा नुकसान एशिया खंड को हुआ है. कोरोनावायरस के फैलाव को रोकने के लिए भारत समेत कई देशों ने बड़ी कठोरता से तालाबंदी लागू की, जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर उद्योग धंधे ठप्प पड़ गए. अनेकों कंपनियों की तरफ से अपने खर्च में कटौती की गई. इसके साथ ही बड़े पैमाने पर कर्मचारियों के वेतन को कम किया गया.
 
                अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में एशिया प्रशांत क्षेत्र के तकरीबन 8 करोड़ 10 लाख नौकरियां चली गई. इसके अलावा कर्मचारियों के आर्थिक उत्पन्न में 10 प्रतिशत की सीधे तौर पर गिरावट आई. देश की जीडीपी में तीन फीसदी कमी आई, जिसका दावा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की ओर से किया गया. एशिया प्रशांत क्षेत्र में कोरोना संकट के बीच बाजारों पर भी इसका बुरा असर पड़ा है. साल 2019 में जमीनी स्तर पर बेरोजगारी का आंकड़ा 4.4% था, तो वहीं 2020 में 5.2% से 5.7% की बढ़ोतरी देखी गई. कोरोना संकट और लॉक डाउन का परिणाम भारत के असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले तकरीबन 40 करोड़ लोगों पर पड़ने का अंदाजा इससे पहले अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की ओर से लगाया गया था.