सीमा की रक्षा के लिए 30 हज़ार करोड़ के हथियार लिए जाएंगे
18 Dec 2020
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
देश अपनी सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करता रहा है. खासकर घुसपैठियों को रोकने और दुश्मनों को सबक सिखाना भी ज़रूरी होता है. इसलिए डीआरडीओ में आयोजित एक कार्यक्रम में सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा कि इस वक़्त हमारा देश हमारी उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है और जिस तरह से हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं, ये बहुत जरूरी है कि डीआरडीओ पूरी लगन के साथ काम करता रहे. उन्होंने कहा ''कल हमारी रक्षा खरीद परिषद की बैठक हुई, जिसमें क़रीब 30,000 करोड़ के हथियार और अन्य उपकरण की स्वीकृति रक्षा मंत्री ने दी है. इसमें से 90 फीसदी हथियार और उपकरण भारत में बनाए जाएंगे. इन सबमें डीआरडीओ का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा. इससे पहले गुरुवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भारत लद्दाख में अपनी स्थिति से समझौता नहीं करेगा और अप्रैल 2020 में यथास्थिति बहाल करना ही एकमात्र रास्ता है. गुरुवार को रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना द्वारा आवश्यक 28,000 करोड़ के हथियारों के अधिग्रहण के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी. राजनाथ ने कहा कि इन अधिग्रहणों में से27,000 करोड़ रुपये के उपकरण भारत सरकार की ओर से मेक इन इंडिया और सरकार द्वारा भारत की पहल के प्रयास में लिए जाएंगे.डीआरडीओ में आयोजित एक कार्यक्रम में सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा कि इस वक़्त हमारा देश हमारी उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है और जिस तरह से हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं, ये बहुत जरूरी है कि डीआरडीओ पूरी लगन के साथ काम करता रहे. उन्होंने कहा कि कल हमारी रक्षा खरीद परिषद की बैठक हुई, जिसमें क़रीब 30,000 करोड़ के हथियार और अन्य उपकरण की स्वीकृति रक्षा मंत्री ने दी है. इसमें से 90 फीसदी हथियार और उपकरण भारत में बनाए जाएंगे. इन सबमें डीआरडीओ का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा. इससे पहले गुरुवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भारत लद्दाख में अपनी स्थिति से समझौता नहीं करेगा और अप्रैल 2020 में यथास्थिति बहाल करना ही एकमात्र रास्ता है. गुरुवार को रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना द्वारा आवश्यक 28,000 करोड़ के हथियारों के अधिग्रहण के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी. राजनाथ ने कहा कि इन अधिग्रहणों में से27,000 करोड़ रुपये के उपकरण भारत सरकार की ओर से मेक इन इंडिया और सरकार द्वारा भारत की पहल के प्रयास में लिए जाएंगे. बता दें कि सीमा सुरक्षा के लिए जांबाज़ जवान अपना हरसंभव योगदान देने के लिए कटिबद्ध हैं.