हैदराबाद में उड़ेंगे प्लास्टिक के पतंग

 12 Jan 2021  1024

संवाददाता/in24 न्यूज़.
मकर संक्राति को लेकर हैदराबाद में हर दूसरी जगह-जगह पर व्यापारियों ने संक्रांति के लिए अपने अस्थायी स्टोर, छोटी दुकानें लगा दी है। दुकानों में तरह-तरह की प्लास्टिक की पतंग सजी हुई हैं। बीते कुछ सालों में प्लास्टिक की पंतगों के कारण पारंपरिक कागज की पतंग बाजार में भारी गिरावट का सामना कर रही है। मकर संक्राति पर हर साल बाजारों में रंग-बिरंगी पतंगों की दुकानें सजती रही हैं, लेकिन बीते सालों में प्लास्टिक पतंग के प्रचलन ने पांरपरिक कागज की पतंग के कारोबार को काफी नुकसान पहुंचाया है। खासकर हैदराबाद की ओल्ड सिटी में पारंपरिक पेपर पतंग का कारोबार घटता जा रहा है। धूलपेट के पतंग बाजरों में पेपर पतंग बनाने वाले एक छोटे कारीगर का कहना है कि इस साल स्थिति और खराब है, क्योंकि व्यापारियों ने चीनी प्लास्टिक की पतंगों का स्टॉक भर लिया है। धूलपेट के एक कारीगर ने बताया कि उनका परिवार एक दशक से ज्यादा समय से पारंपरिक पतंग बनाने के बिजनेस से जुड़ा है। लेकिन पेपर पतंग के घटते बाजार ने उनके व्यवसाय पर भी असर डाला है। उनका कहना है कि हालांकि हम इन पारंपरिक पतंगों को बनाने के लिए महीनों मेहनत करते हैं, लेकिन पिछले काफी समय से व्यापारी ज्यादातर प्लास्टिक पतंग ही लेना पसंद कर रहे हैं। क्योंकि लोग पारंपरिक चीनी पतंगों को पसंद करते हैं ओल्ड सिटी हैदराबाद के धूलपेट, गुलजार हौज, डाबेरपुरा, मगंलाथ और याकूतपुरा में सैंकड़ों परिवार महीनों तक पतंग बनाने का काम करते हैं। यहां के अधिकतर परिवार इसी संकट से जूझ रहे हैं। पापल पतंग निवास के एक पारंपरिक पतंग निर्माता का कहना है कि, हम 100 पतंग बनाने बाद लगभग 150 से 200 रुपये कमाते हैं और हर कारीगर अलग-अलग आकार के हिसाब से एक दिन के लगभग 30 से 50 पतंग बना सकता है। ये एक मुश्किल काम है और इतनी मेहनत करने के बाद भी हमारे हाथ कुछ नहीं आता है। हम एक अच्छी कमाई से वंचित रह जाते हैं। बहुत से पतंग कारीगरों का कहना है कि पिछले दो सालों में 60 प्रतिशत से 70 प्रतिशत से अधिक परिवार अच्छी कमाई न होने के कारण पारंपरिक पतंग बनाने के व्यवसाय को छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। पतंग व्यवसाय के लिए बेहद निराशाजनक होगा.