पेट्रोल की कीमत ने लगाई आम आदमी की जेब में आग
22 Jan 2021
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
कोरोना संकट और महंगाई की मार से बेहाल आम आदमी की जेब में पेट्रोल की बढ़ती कीमत ने आग लगाने का काम किया है. भारत में पेट्रोल की कीमतों में शुक्रवार को बढ़ोतरी हुई है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने दो दिनों तक कीमतें स्थिर रखने के बाद फिर से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 25 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है. इसके साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल की कीमत अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. दिल्ली में पेट्रोल आज 85.45 रुपये प्रति लीटर और डीजल 75.63 रुपये प्रति लीटर पर बेचा जा रहा है. यह राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल की अब तक की सबसे अधिक कीमत है. डीजल मुंबई में रिकॉर्ड उच्च कीमत पर बिक रहा है. परिवहन ईंधन के खुदरा मूल्य को 29 दिनों तक स्थिर रखने के बाद तेल कंपनियों ने जनवरी में कीमतें बढ़ाना शुरू कर दिया. भारतीय बास्केट की क्रूड की लागत, जिसमें ओमान, दुबई और ब्रेंट क्रूड शामिल है, 20 जनवरी को 56.19 डॉलर प्रति बैरल था. दिल्ली में आज पेट्रोल की कीमत 25 पैसे बढ़कर 85.20 रुपये प्रति लीटर से 85.45 रुपये प्रति लीटर हो गई है. जबकि डीजल 75.38 रुपये प्रति लीटर से 25 पैसे बढ़कर 75.63 रुपये प्रति लीटर हो गया. मुंबई में भी पेट्रोल के दाम 24 पैसे बढ़कर 92.04 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम 27 पैसे बढ़कर 82.40 रुपये प्रति लीटर हो गए. कोलकाता में पेट्रोल के दाम 24 पैसे बढ़कर 86.87 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम 26 पैसे बढ़कर 78.23 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं. इसी तरह बेंगलुरु में भी पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी हुई है। पेट्रोल के दाम 26 पैसे बढ़कर 88.33 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम 26 पैसे बढ़कर 80.20 रुपये प्रति लीटर हैं। दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक सऊदी अरब द्वारा उत्पादन कम करने और दुनिया भर में चल रहे टीकाकरण अभियान के साथ, वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है, जिसमें ब्रेंट ट्रेडिंग 55.60 डॉलर प्रति बैरल है, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 52.58 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था. भारत जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है. भारत ने 2019-20 में कच्चे तेल के आयात पर 101.4 बिलियन डॉलर और 2018-19 में 111.9 बिलियन डॉलर खर्च किए. तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) की 13 वीं बैठक के बाद तेल की कीमतें 5 जनवरी को बढ़ी हैं. फरवरी और मार्च 2021 के लिए उत्पादन स्तर के समायोजन पर निर्णय लिया गया है. ओपेक प्लस का फैसला भारत के लिए महत्वपूर्ण है. जैसा कि ओपेक वैश्विक उत्पादन का लगभग 40% और भारत के तेल आयात का 83 फीसदी हिस्सा बनाता है. पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों के मुताबिक, महामारी फैलने से अप्रैल में कीमत गिरकर 19.90 डॉलर हो गई थी, जो दिसंबर में 49.84 डॉलर प्रति बैरल हो गई. बता दें कि जिस तरह महंगाई की चपेट में पेट्रोल की कीमत बढ़ती जा रही है उससे आम आदमी को जल्द राहत मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही.