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 18 Feb 2021  720

संवाददाता/in24 न्यूज़.
कानून के घर देर है, पर अंधेर नहीं है. मथुरा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने आजाद भारत में पहली बार किसी महिला को फांसी देने की तैयारी शुरू कर दी है. 38 साल की शबनम अली को उसके परिवार के सात सदस्यों- माता-पिता, दो भाइयों, भाभी, चचेरे भाई और 10 महीने के भतीजे की हत्या का दोषी पाया गया था. शबनम ने परिवार के सदस्यों को जहरीला दूध पिलाने के बाद उनका गला दबाकर हत्या कर दी. डबल एमए कर चुकी 25 साल की शबनम छठवीं फेल सलीम से शादी करना चाहती थी, लेकिन उसके परिवार वाले तैयार नहीं थे. दोनों को 2010 में यूपी के अमरोहा में सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. इन 11 वर्षों में शबनम इलाहाबाद हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति के पास भी गई. पिछले साल जनवरी में उसकी समीक्षा याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी, जिसके बाद उसका फांसी पर लटकना तय माना जा रहा था. खबर के मुताबिक उसके वकील ने कहा कि उन्हें अभी कोर्ट ने डेथ वारंट की सूचना नहीं दी है लेकिन देश में पहली बार ऐसा हो रहा है, जहां महिला को फांसी दी जा सकती है और तैयारी की जा रही है. मथुरा के वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र मैत्रे ने बुधवार को कहा कि हमें कोई डेथ वारंट की सूचना अभी नहीं मिली है, लेकिन तैयारी शुरू कर दी है. पिछले साल फरवरी में जल्लाद पवन जल्लाद ने फांसी घर का निरीक्षण किया था. जिसमें कुछ समस्या थी, हम अब इसे ठीक कर रहे हैं. हमने अभी बिहार के बक्सर केंद्रीय जेल से दो फांसी की रस्सी का आदेश दिया है. एक रिखबर के मुताबिक शबनम के 12 साल के बेटे ने राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद से अपनी मां के लिए माफी की गुहार लगाई है. वारदात के वक्‍त शबनम दो महीने की गर्भवती थी और बच्‍चे को जेल में जन्म दिया. पहले राष्‍ट्रपति शबनम की दया याचिका खारिज कर चुके हैं. शबनम आजाद भारत में फांसी की सजा पाने वाली पहली महिला अपराधी है. खबरों के मुताबिक बुलंदशहर की एक दंपत्ति ने शबनम के बेटे को अपनाया. जेल में पैदा हुए शबनम के इस बेटे की अब यह दंपत्ति परवरिश कर रहा है. लड़का कक्षा छठवीं कक्षा में पढ़ रहा है. बच्चा दंपत्ति को छोटी मम्मी-पापा कहता है. कुछ दिन पहले दंपत्ति उसे रामपुर जेल में बंद शबनम से मिलवाने ले गया. जब मां ने बेटे को देखा तो फफक कर रोने लगी और काफी देर तक बेटे से लिपटकर रोती रही. शबनम बेटे से बार-बार कह रही थी कि पढ़-लिखकर अच्छा इंसान बनना. मैं बुरी मां हूं, मुझे कभी याद मत करना. बहरहाल, यह तय है कि शबनम को उसके किये की सज़ा मिलेगी।